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सेमेस्टर - 1
(रेफ्रिजरेटर का इतिहास )

रेफ्रिजरेटर शब्द का प्रयोग सबसे पहले रोमन ग्रीक के लोगों द्वारा किया गया। इसका आविस्कार इंगलैण्ड में सन 1834 में जे परकिन्स ने किया था। किल का प्रारंभिक बनावट लखड़ी कही कैबिनेट के रूप में बनी जिसका प्रयोग अधिकतर बर्फ रखने के लिए किया जाता था। पहला घरेड फ्रिज सन 1813 में विकसित किया गया। सौ साल के बाद पूर्ण विकसित होकर 1934 में सिर्य रोबक नामक अमेरिकी कम्पनी ने काल्ड स्पॉट सुपर सिक्स मॉडल बाज़ार में उतारा जिसका डिजाइन रेगण्ड कोली ने तैयार किया था। इसका बाहरी ढोल पहली बार स्टील का बनाया गया लेकिन आज डिजाईन व स्टोरेज क्षमता के आधार पर कई तरह के फ्रिज उपलब्ध है। 1980 दशक तक ब्रिज को रसोई घर में रखने या सजावट के सामान की तरह रखने बड़ा प्रचलन हो गया। सर्व प्रथम 165 लीटर का मॉडल सबसे अधिक प्रचलन में आया।
(फ्रिज की आवश्यकता क्यों)
खाने पीने की वस्तुएँ सूक्ष्म कीटाणुओं से खराब जाती है। ये सूक्ष्म छोटानु भोजन एवं गर्म जलवायु में जीवित रहते हैं। ये fdVk.kq भोजन करने के ckn ey ew= dj nsrsa gSaA जिसके कारण उसके संपर्क में आकर खाने पीने की वस्तुएँ दूषित और खराब हो जाती है ;g गर्म जलवायु में अधिक  mRié होते हैं। उसकी वृद्धी रोकनी के लिए आवश्यक है। कि खाने पिने की चीजे ठण्डी या औसत तापक्रम में रखी जाए वस्तुओं के निर्माण एवं रिसर्च आदि में भी अनेक चित्रों को ठण्डा रखकर सुरक्षित किया जाता है। और ठण्डा रखने के लिए रेफ्रिजरेशन की प्रक्रिया  सर्वोत्तम मानी जाती है।  फ्रिज के द्वारा जिस वस्तु को ठण्डा करना होता उस चित्र की गर्मी निकालकर हवा या पानी को देही जाती है। जिससे खाद्य पदार्थ काफी समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है। इसका अर्थ हुआ कि जब एक छोर पर किसी पदार्थ का वाष्पीकरण होता है। तो दूसरे छोर पर उसमें ठण्डक उत्पन्न होती है। और इसी सिद्धांत पर रेफ्रिजरेशन प्रक्रिया आधारित है।
(रेफ्रिजरेशन नापने की इकाई)
किसी शरीर की अन्दर गरमी की मात्रा नापने के लिए एक यन्त्र प्रयोग किया जाता है। जिसे थर्मामीटर कहते है। थर्मामीटर मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते है। 
1.सेन्टीग्रेड  centigrade
2.फार्नहाईट  Fahrenheit
3. ट्यूमर Reamur
परन्तु बर्फ के काम में प्राय: फार्महाईट का ही प्रयोग होता है।
 इस thermometer पर शून्य डिग्री से लेकर 212 से लेकर डिग्री तक निशान लगे होते है  जो गर्मी की मात्रा दर्शाते है। इस thermometer के अनुसार पानी 212 डिग्री टेम्प्रेचर पर उबलना प्रारंभ होता है। और 22 डिग्री पर जमना प्रारंभ करते हैं। फार्नाईट - का स्केल 212-32-180°" में बंटा होता है। जिनकी सेन्टीग्रेड का थर्मामीटर 0-100° तक बंटा होता है इस प्रकार सेन्टीग्रेड के 100° फार्नहाइट के 180°- के बराबर होते हैं। शून्य डिग्री से अभिप्राय होता हो कि गर्मी की मात्रा शून्य है। अर्थात गर्मी शरीर में बिलकुल नही है। पानी को यदि ठण्डा करते जाए और जब उसका 32 डिग्री पर टेम्प्रेचर जायेगा to पानी जमना प्रारंभ हो जाता है। पानी को लगातार 32 डिग्री पर लगातार रखा जाए तो वह Bksl हो जायेगा। अर्थात वह बर्फ कहलायेगा। किसी रेफ्रिजरेशन मशीन की क्षमता टन में नापी जाती है। 
(रेफ्रिजरेशन के प्रकार)
रेफ्रिजरेशन के प्रयोग को 2 भागों में बाँटा गया है। 
1.घरेलू रेफ्रिजरेशन 
2. व्यापारिक रेफ्रिजरेशन 
1. घरेलु रेफ्रिजरेशन → जो कि घरेलू काम में प्रयोग होते है। उसे घरेलु रेफ्रिजरेटर करते है हो जो कि देखने में तो आलमारी के जैसा दिखाई देता है। इसमे आवश्यकता के अनुसार सेल्फनेट खांचा) बना होता है। इसके गेट में भी बोतल, आचार, जैम आदि की शिशियाँ. कोल्ड ड्रिंग बोटले, दवाईयाँ, अण्डे आदि रखने के लिए रैंकननी होती है। इस प्रकार के रेफ्रिजरेटर को साधारण 'भाषा में फ्रिज कहते हैं घरेलु फिज मुख्यत: कुछ वस्तुओं को अधिक दिन तक सुरक्षित रखने के लिए जैसे सिंगार (ब्यूटी पार्लर) वस्तु • साबुन, पाऊ 32, दवाई, दूध से बनी वस्तु को सुरक्षित रखने एवं इण्डे पानी, बर्फ एवं राब्जी को ताजा रखने के लिए प्रयोग करते है। अलग-अलग वस्तु को टेम्प्रेचर के हिसाब से सेल्फारेका बने होते है।
2.व्यापारिक रेफ्रिजरेशन- जो रेफ्रिजरेशन व्यापारिक स्तर पर अधिक मात्रा में प्रयोग करने के लिए उपयोग में लाते है। उसे व्यापारिक रेफ्रिजरेशन कहत है। जैसे सिनेमा हाल, होटल, रेस्टोरेन्ट, ओडीटोरियम अस्पताल, कार्यालय और निवास स्थान भवनो को ठण्डा करने के लिए एयर कंडीशनर के रूप प्रयोग करते है। रेफ्रिजरेशन का प्रयोग आज कल बड़े पैमाने में किया जा रहा है जैसे पेट्रोल साफ करने के लिए, कार, ट्रेन, बस नस, जहाज कारखाने, (दूध, डबलरोटी, विस्कीट, मिठाई, आर्टिस्कीम, बनाने की फैक्ट्री, एवं आनाज+ सी रखने की फैक्ट्री में प्रयोग किया जा रहा है।
(इसका निम्न नामों से प्रयोग करते हैं।)
1. आइस फैक्ट्री 
2. आइस कैंडी
3. कोल्ड स्टोरेज
4. सेन्ट्रल प्लन्ट व पैकेज यूनिट 
5. डीप फ्रिजर आदि
(बर्फ क्या है)
पानी की ठोस स्थिति, बर्फ कहलाती है। यह दो प्रकार की होती है।
 1.प्राकृतिक बर्फ पहाड़ों पर तापक्रम काफी कम हो जाने पर हवा में मौजूद नमी जमने लगती है। जो स्वो या बर्फ कहलाती है। खुले मैदानों में भी सर्दियों में जब तापक्रम काफी कम हो जाता है। तो वहाँ पर भी हवा में नमी जमकर कोहरा या अधिक ठण्ड होने पर पाला बन जाता है
2.बनावटी बर्फ (कितम)" बनावटी बर्फ प्राप्त करने के लिए पानी को ठण्डा करके जमाया जाता है। जैसे पानी को शीघ्रता से जमाये जाने के कारण पानी में उपस्थित गैस (हवा) जम जाती है। जिसके कारण प्राप्त होने वाला बर्फ दूध की तरह सफेद दिखाई देती है। यह बर्फ जल्दी पिछल जाती है।। इसी कारण इस प्रकार की बर्फ को खाने के अतिरिक्त अन्य कार्यों में प्रयोग की जाती है।
जब पानी को धीरे-धीरे जमाया जाए और जमाते समय उसे हिलाया जाए तो पानी में उपस्थित गैस (हवा) निकल जायेगी इस प्रकार से प्राप्त होने वाली बर्फ पक्की या सॉलिड बर्फ कहलाती है। यह दिखने में शीशे की तरह आार-पार दिखने वाली होती है। और यह देर से नहीं पिघलती  है। यह बर्फ खाने योग्य होती है कच्ची बर्फ 'वह कहलाती है। जिसमें पानी के साथ-साथ गैस भी जम जाती है। और पक्की बर्फ वह कहलाती है। जिसमें गैस न जमे । आपको पता होगा कि डिस्टील वाटर एवं बरसात के पानी में कोई गैस नही होता यह शुद्ध पानी होता है। यदि इस पानी को धीरे धीरे जमाया जाए तो पक्की बर्फी बन जायेगा यह क्रिस्टल रूप में (गुटको के रूप में) इसलिए इसे क्रिस्टल आइस कहते है। यह बर्फ बहुत महंगी मिलती है।
रेफ्रिजरेशन सिस्टम
रेकिजरेशन वह विधि है। जिसमें निश्चित ठंडक उत्पन्न होने से खाद्य पदार्थों को खराब होने से बचाया  जाता है। इस विधि से खाद्य पदार्थ को पर्याप्त समय तक अपनी मूल अवस्था में रखा जा सकता है। ठंडक उत्पन्न करने में अनेक विधियाँ प्रयोग में आती है। जिसमे वेपर कम्प्रेसर रेफ्रिजरेशन सिस्टम सबसे अधिक प्रयोग होता है। इसे मैकेनिकल रेफ्रिजिरेशन भी कहा जाता है। (वेपर - बनावटी या निकेट) वेपर कम्प्रेसर सिस्टम में प्रयोग होने वाली लीकप्रूफ मैकेनिज्म सील्ड होता है। इसमें गैस या रेफ्रिजिरेट सारे सिस्टम में घूमता है। और भिन्न-भिन्न भागे द्रव में बदलता है। इस क्रिया को रेफ्रिजिरेशन कहते है जिन यह प्रत्येक भाग से घूमता हुआ अपना यक्व पूरा करता है। तो वह एक साइकिल होगी और साइकिल बनने की क्रिया बार-बार होती है। इस प्रकार एक स्थान से हीट खिंचता है। और दुसरे स्थान पर उसे रिलिज (प्रसारण) कर देता ही जहाँ पर खिचता है। वहां ठण्डक होती हैं। और दूसरी ओर गर्म हो जाती है। इस सिस्टम में मुख्य भाग निम्न प्रकार से है।
1. कम्प्रेस- यह सिस्टम दबाव के अन्तर को घटाता है।
2. कूलिंग क्वायल- इस पर गैस भरा जाता है। वाष्प बनता है
3.सक्शन लाईन-  कूलिंग + वायल एवं कंप्रेसर को जोड़ने वाली परिय एक्सपेन्शन वाल्व या कैप्लरी- यहां प्रेसर लहिन है।
एक्यूामनेटर कण्डेन्सर → इस पर गैस संचालित होती है।
 
dम्प्रेसर सिस्टम 
कम्प्रेशर सिस्टम दबाव के अन्तर को बनाता है। इसमें दो पाईप लगी हुई होती हैं। एक से हवा या गैस -अधिक प्रेशर से आती है। जिसे डिस्चार्ज कहते हैं। 'बाहर और दूसरे से हवा कम्प्रेशर के अन्दर के आती है।। जिसे सेक्शन कहते है। जाती फुलिंग क्वायल ] एवापोरेटर) (फ्रिजर) 
dwfyax DokbZy
dwलिंग क्वायल सा (एकापोरेटर) में रेफ्रिजिरेन्ट आकर उबलता है। और यह वाक्प में परिवर्तित हो जाता हैं। इसमें दो सिरे होते है। इसका एक सिरा कम्प्रेशर के. सेक्शन लाईन में और दूसरा सिरा एक्सपेन्शन माल्व या (कैटलरी) सेल लगा हुआ होता है। इसको व्यायलर, फ्रिटजर, लोसाइड आदि नामों से भी जानते हैं।
सक्शन लाईन 
भूलिंग क्वायल और कम्प्रेशर के सक्शन को जोड़ने वाली पाईप को सक्शन लाईन कहते हैं। इसी पाईप से होता हुआ रेफ्रिजरेन्ट वापस कम्प्रेशर में आ जाता है।
कैपीलरी (एक्सपेन्शन वाल्व)
एक्सपेन्शन वाल्व या कैपिलरी का भीतरी व्यास बहुत कम होता है। कैपिलरी का एक सिरा, ककेंसा (किट) से तथा दुसरा सिरा कूलिंग क्वायल से लगा हुआ होता है। इसके लगाने से कण्डेन्सर सहिड में प्रेशर हाई रहता है। और कूलिंग कबायल में लो प्रेशर। कैपिलरी को लम्बाई इस अनुपात से रखी जाती है कि हैM प्रेशर (कण्डेन्सर साईडकाप्रेशर 140 और 180 पाऊण्ड के बीच रहे। |
एक्यूमिनेटर
यह रेफ्रिजिरेटिंग सिस्टम के फ्रिटजर के अन्त में एक मोटे साइज के पाईप की तरह लगा होता है। जो कि उस तरल को अपने अन्दर जमा करके रखता है। जिसका फ्रिजर में वाढपीकरण नही हो सकता ।
कम्प्रेशर के प्रकार  %&
कम्प्रेशर रेफ्रिजरेटर सिस्टम का महत्वपूर्ण भाग होता है। जिसकी तुलना मनुष्य के दिल से की जा सकती है जिस प्रकार हृदय की गति रुक जाने से मनुष्य की मृत्यु हो जाती है। उसी प्रकार कम्प्रेशर का कार्य करना बन्द होते ही रेफ्रिजरेटर सिस्टम बैंड हो जाता है। जिस प्रकार मनुष्य के हृदय में रक्त आने जाने के हो प्रमुख मार्ग होते हैं। उसी प्रकार कम्प्रेशर में गैस आने जाने के दो प्रमुख मार्ग होते है। जिस प्रकार दिल का कार्य रक्त का संचार और रक्त के दबाव को कंट्रोल में रखना रहेता है। ठीक उसी प्रकार कम्प्रेशर का कार्य गैस का संचार व गैस को कंट्रोल में रखना रहेता है। संक्षेप में कम्प्रेशर गैस को फ्रिजर से खींचकर कण्डेश्वर की ओर भेजता है।
कम्प्रेशर के अनेक प्रकार %& 
(1) चाल के अनुसार कम्प्रेशर 2 प्रकार के gksrs है।
(A) बेल्ट ड्राइव कम्प्रेशर 
(B) डाइरेक्ट ड्राइव कम्प्रेशर
(2) साईज के अनुसार कम्प्रेशर दो प्रकार होते हैं
(A) सिंगल सिलेण्डर कम्प्रेशर
(B) मल्टी सिलेण्डर कम्प्रेशर
¼3½ विधि के अनुसार कम्प्रेशर तीन प्रकार के होते हैं।
(A) रेसीप्रो केटिंग कम्प्रेशर
(B)  रोटरी कस्प्रेशर
(C) सेन्ट्रीफ्यूगल
(4) प्राईम मूवर लोकेशन (देखने मे) दो प्रकार के होते हैं।
(A) सेमी हरमेटिक
(B) हरमेटिक कम्प्रेशर
लेकिन घरेलू क्रिजों में डाइरेक्ट ड्राइव, सिंगल सिलेण्डर, रेसीप्रोकेटिंग, हरमेटिक कम्प्रेशर का प्रयोग होता है। इसलिए हम केवल इन्ही प्रकारो का यहाँ वर्णन किया जा रहा है।
डाइरेक्ट ड्राइव कम्प्रेशर
जो कम्प्रेशर बिना बेल्ट केचलते है। उन्हें डाइरेक्ट ड्राइन कम्प्रेशर कहते हैं। इस प्रकार के कम्प्रेशर में कम्प्रेशर और मोटर एक साथ फिट रहेता है। यह मोटर लगभग 1750 RPM  चक्कर प्रति मिनट की गति से घूमती है। शुऊन्ड प्रति मिनट
सिंगल सिलेण्डर कम्प्रेशर
जिन कम्प्रेशरों में केवल एक सिलेण्डर प्रयोग होताई उन्हें सिंगल सिलेंडर कम्प्रेशर कहते है। घरेलू फ्रिजों में  सिलेण्डर कम्प्रेशर का ही प्रयोग होता है।
रेसीप्रोकेटिंग कम्प्रेशर
जिन कम्प्रेशरों में गैस का आना-जाना पिस्टन के द्वारा हो, उसे रेसीप्रोकेटिंग कम्प्रेशर कहते हैं। 'इसकी बनावट सरल होने के कारण इसकी रिपेयरिंग भी अत्यन्त सरल है। इसमें पिस्टन सिलेण्डर, के अन्दर कनेक्टिंग रॉड की सहायता से चलता है। यह अधिक क्षमता के होते है। सभी घरेलू फ्रिज और एयर कण्डीशनर में इसका प्रयोग हो रहा है। यह कम्प्रेशर 0.5 टन से 2 टन तक की क्षमता के होते हैं। इन कम्प्रेशरों में फ्रिआन 12, क्रियान 22 आदि गैस प्रयोग की जाती है।
रेसीप्रोकेटिंग कम्प्रेशर की कार्य-विधि।
पिस्टन जब वाल्व प्लेट से दूर (सक्शन स्ट्रोक) जाता है। तो प्रेशर कम होने के कारण गैस सक्शन वाल्व को धक्का देकर खोल देता है। और गैस निश्चित मार्ग से होकर आगे चली जाती है। जैसे ही पिस्टन वाल्व प्लेट के नजदीक आता है। तो प्रेसर अधिक होने के कारण सक्शननंद हो जाता है। और डिस्चार्ज वाल्व खुल जाता है। जिससे गैस डिस्चार्ज → में चली जाती है। । यह कम्प्रेसर दो प्रकार के होते हैं। प्र वर्टिकल कम्प्रेशर 7 ऐसा कम्प्रेशर जिसका पिस्टल सिधे कनेक्टिंग राउ और क्रैंकशाफ्ट से चलता है। उसे वर्टिकल कम्प्रेशर कहते हैं। इस प्रकार के कम्प्रेशर घरेलू उपकरणों में प्रयोग किये जाते हैं।
(2) जिन कम्प्रेशरों पिस्टन, शाफ्ट कनेक्टिंग राउ क्रास हैड और पिस्टल राउ की सहायता उन्हें होरिजोन्टली कम्प्रेशर कहते है। यह कम्प्रेशर उपयुक्त नहीं है।
हरमेटिक कम्प्रेशर । (शील्ड हष्ट्रिय)
ऐसा कम्प्रेशर, जिसमें मोटर और कम्प्रेशर एक ही कैबेनिट पर हो उसे हरमेटिक कम्प्रेशर कहते हैं। इसका प्रयोग रेफ्रिजरेटर तथा विन्डोटटिप एयर कण्डीशन वाटर कुलर आदि में होता है। घरेलू फ्रिज में शील्ड टाइप कम्प्रेशर का प्रयोग होता है। इसका विशेषता है।
Q सिर्फ AC सप्लाई से चलते हैं 2) मोटर एवं कम्प्रेसर की गति समान होती है। (3) कम्प्रेसर की गति स्थिर रहती है। @ अधिकतर घरेलू फ्रिजों में प्रयोग होता है।
(3) इसके खील का प्रयोग नहीं होता। (6) रिपेयरिंग कठिन है। स्थान कम घेरता है। गैस निकेज की अशंका नही होती है। Q चारो ओर शील्ड होने के कारण इसमें सर्विस वाल्व वाल्व प्रयोग नहीं होता है 
वाल्व को धक्का देकर खोल देता है। 'और गैस निश्चित मार्ग से होकर आगे चली जाती है। जैसे ही पिस्टन वाल्व प्लेट के नजदीक आता है। तो प्रेसर अधिक होने के कारण सक्शन बंद हो जाता है। और डिस्चार्ज वाल्व खुल जाता है। जिससे गैस डिस्चार्ज
में चली जाती है। यह कम्प्रेसर दो प्रकार के होते हैं। Q वर्टिकल कम्प्रेशर→ ऐसा कम्प्रेशर जिसका पिस्टन * सिद्धे कनेक्टिंग राउ और क्रैंकशाफ्ट से चलता है। उसे वर्टिकल कम्प्रेशर कहते हैं। इस प्रकार के
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कम्प्रेशर घरेलू उपकरणों में प्रयोग किये जाते हैं।
2 जिन कम्प्रेशों का पिस्टन, शाफ्ट, कनेक्टिंग राउ क्रास है? और पिस्टन राड की सहायता से चलता ह उन्हें होरिजोन्टली कम्प्रेशर कहते है। यह कम्प्रेशर उपयुक्त नहीं है। 1) हरमेटिक कम्प्रेशर | (शील्ड हष्ट्रिय)
ऐसा कम्प्रेशर, जिसमें मोटर और कम्प्रेशर एक ही कैबेनिट पर हो उसे हरमेटिक कम्प्रेशर कहते हैं। इसका प्रयोग रेफ्रिजरेटर तथा विन्डो टार्टप एयर कण्डीशन वाटर कुलर आदि में होता है। घरेलू फ्रिज के शील्ड टाइप कम्प्रेशर का प्रयोग होता है। इसका विशेषता है। Q सिर्फ AC सप्लाई से चलते है।
2) मोटर एवं कम्प्रेसर की गति समान होती है। 3) कम्प्रेसर की गति स्थिर रहती है। @अधिकतर घरेलू क्रिप्टों में प्रयोग होता है। (3) इत्यो स्वीट का प्रयोग नहीं होतान Q रिपेयरिंग कठिन है। 5 स्थानकर देखता है। गैस निकेटज की अशंका नहीं होती है। Q चारों ओर शील्ड होने के कारण इसमें सर्विस वाल्व वाल्व प्रयोग नहीं होता।
कम्प्रेशर के भाग %&
कम्प्रेशर भागों का वर्णन निम्न प्रकार है। किसी भी फ्रिज को समझने के लिए पहले उसके कम्प्रेशर के बारे में जानना आवश्यक है

सिलेण्डर %&
सिलेण्डर बहुत ही उच्च श्रेणी के कास्ट आयरन से बनते है। इसे बनाने को पूर्ण प्रक्रिया के बाद इस पर उच्च श्रेणी की निकल पालिस की जाती है। इसमें पिस्टन व्यास से बहुत चलता है। इसका ज्यास पिस्टन के कम अन्तर में अधिक होता ही ताकि इसमें पिस्टन सही प्रकार से चल सके।
पिस्टन %&
यह भी सिलेण्डर की तरह उच्च श्रेणी के कास्ट आमरत का बना हुआ होता है। इसका साईज सिलेन्डर के अनुसार होता है। यह सलेण्डर में बहुत ही टाईट चलता है। सिलेण्डर का व्यास और पिस्टन के बयास में 0.0003 इंन्द का अन्दर ही रहेता है। पिस्टन पर कई कटाव बने होते है। इसेम दो प्रकार के रिंग डाले जाते हैं। इस पर भी निकल पालिस किया जाता है, पिस्टन भिन्दर से अधिक खोखला 'होता ही और आर पार (सटिड से) छिद्र बने हुए होते हैं। खोखले भाग में कनक्टिंग राउ का उपरी सिरा लगाया जाता है। इस एड में छिद्र होते हो ये हिंदू पिस्टन में बने हिंदा होला के बराबर होते हो. इन छिद्रों में गजन दिन डाली जाती है। जिससे कनेक्टिंग राउ और पिस्टल अलग नहीं होते।
पिस्टल
राजन पी कनेक्ट्रीय राज
स्टेटर %&
कम्प्रेशर मोटर का वह भाग है। जिसमें तार लिपटें, हुए हो और घूमता न हो उसे स्टेट कहते हैं। स्टेटर में क्वायलों के हो या चार पोल होंगे। जिस मोटर में चार पोट (क्वायल) होती है। 1440 R.P.TH. होता है। वह लो स्पीड कहलाता है। जिस मोटर ५८ वनायल हो पोल होती है। वह 2800 Rp.m.का होता है। और वह हाई स्पीड मोटर कहलाती है। आजकल घरेलू फ्रिजों में हाई स्पीड कम्प्रेशर ही प्रयोग में आ रहे हैं। हाई स्पीड का मुख्य लाभ - यह है। कि सिस्टम में कुलिंग जल्दी बनती है।
सिंगल फेज मोटर जल्दी स्टार्ट नही होती। उन्हें स्टार्ट करने के लिए हो प्रकार की वायविडंग करके एक फेज को दो नकली फेज बनाये जाते है। रोटर को स्वयं स्टार्ट करने के लिए स्टेटर पर दुसरी रिवार वायविडंग जलाई जाती है। जिसे स्टार्टिंग वायडिंग कहते है। मुख्य वायडिंग को रविंग वायब्डंग कहते है। स्टार्टिंग वायडिंग, रविंग वायविडंग की तुलना
मैं अधिक पतले तार की बनाई जाती है। इस प्रकार
स्टार्टिंग वायविडंग में रजिस्टेंन्स कम होता है।। स्टार्टिंग वायडिंग में अत्यन्त कम समय के लिए हो, करेन्ट दिया जाता है। इसलिए स्टार्टिंग वायविडंग आसानी से खराब नही होती होतो वायविडंग
सामान्तर में लगाई जाती है। एक ही फेज दोनों वायचिंग • मैरिले के द्वारा विभाजित होकर जाता है। जिन मोटर गति पकड़ लेती है। तो स्टार्टिंग कार्याकडंग का कार्य सभारत होन जाता है। उसके बाद रविंग वायविडंग सही मोटर लगातार चलती रहती है।


रोटर %&
स्टेटर को मध्य में हमने वाले भाग को शेटर कहते है यह ड्रम टाइप का होता है। यह लेमिटिड सायरन कोर का बना होता है। इसकी ऊँचाई स्टेटर की मोटी (कोर) के बराबर होती है।
सॉफ्ट %&
रोटर के मध्य में लगी राड को साफ्ट कहते है। यह मोटर तथा कम्प्रेशर का महत्वपूर्ण भाग है। इसका काम शेटर एवं स्टेटर के बिच का जैव चाये 'ओर से बराबर बनाए रखना तथा कनेक्टींग राउ को घुमान होता है। जिससे पिस्टल ऊपर किये हो सके। यहा जरा सा भी बेदे हो जाए तो मोटर चड़ेगा कही। यदि मोटर चलेगा भी तो सही प्रकार से कार्य नहीं करेगा। जिसके कारण ओटर गर्म होगा।
कनेक्टिंग jkmaM %&
पिस्टल और शाफ्ट को जो उने का कार्य कलेक्टिंग रॉड द्वारा कराया जाता है। इस राउ के दोनों सिरों पर दिए बने होते हैं। छोटा दिड पिस्टन पर जगताडे और बड़ा दिए शाफ्ट पर लगता है।
गजjfiu %&
कनेक्टिंग रांड को पिस्टल में रोकने के लिए गजन पिन का प्रयोग किया जाता है। गजन पित्र की पिक्ट) पिन भी कहा जाता है। गजन पिन को रोकने के लिए लॉक का प्रयोग किया जाता है।
okYo प्लेट %&
सिलेण्डर की ऊपरी सतह पर जो (plate जगाई जाती है। उसे । वाल्व प्लेट कहते है। उसे वाल्व प्लेट कहते हैं। इसका आकार कंप्रेशर के अनुसार होता है। वाल्व प्लेट और सिलेण्डर की ऊपरी सतह के बीच सक्शन रोड लगी होती है। वाल्व प्लेट परकई हिंदु बने होते हैं। 
वाल्व प्लेट पर डिस्चार्ज रीड लगी होती हैं। जिस परलगा गाईडर डिस्चार्ज रीड को बराबर से दबाए रखता है। लॉक का काम इन तीनों पत्तियों को रोके रखना है। कहीं कही पा लॉक के जगह गईंडर और डिस्चार्ज रोड को पेंच से कर दिया जाता है। अर्थात पेंच गहिडर पर दबाव भी डालता है। और दोनों पत्तियो को रोक भी रखताडो
किंक फेस %&
कम्प्रेशर के सभी भाग जैसे : सिलेण्डर, पिस्टन, शॉफ्ट, रोटर, स्टेटर आदि जिस भाग पर फिट किए जाते हैं। वह क्रिंक फेस कहलाता है। साधारण भाषा में इसे ब्लॉक कहते हैं। और ब्लाक पर ही मेन वुश लगा होता है। जिसमें शाफ्ट चलती है। शाफ्ट के ऊपर रोटर तथा - रोटर के ऊपर स्टेटर फिट हुआ रहता है।
हैंड प्लेट %&
okYo प्लेट को ढकाने के लिए हैड प्लेट का प्रयोग किया जाता है। यह काट आयरन (ढलवाँ बोध) या एक्यूमिनियम की बनाई जाती है। यह दो भागों में विभाजित हुई होती है। एक भाग में डिस्चार्जरिव अन्य पत्तीयां आ जाती है। तथा दूसरे भाग में वह छिद्र आते है। जो सक्शन रीड से जुड़ते हैं।

गास्केट (गैस कीट)  %&
कम्प्रेशर के सारे जोड (Joints) एयर टाईट होनी चाहिए। ताकि इन घोड़ो वाले स्थान से हवा अथवा गैस लीक न कर सके। टाईट होने से कम्प्रेशर के प्रेशर बनते समय बढ़ी हुई हीट और दबाव को सहन कर सके। कम्प्रेशर को एयर टाईट करने के लिए गास्केट का प्रयोग करते हैं। गास्केट प्रायः कार्की प्र पेपर कम्पोजीशन ब्रेड रबर या एल्यूमिनियम आदि के होते हैं। पेपर कार्की के गास्केट अधिक प्रयोग किए जाते हैं। गास्केट को मोटाई 1.6mm, o .4mm की मोटाई तक होती है।
(गास्केट में निम्नलिखित गुण होनी चाहिए) %&
1- vklkuh ls u nc tk;s
2 यह प्रेशर व तापमान सहन कर सके ।
3 इस पर रेफ्रिजरेन्ट या वायु का कोई ncko u iM+s
4 आसानी से काटी u जा सके। 
गास्केट की सिट खरीदते समय यह ध्यान रहे चाहिए। कि उसकी मोटाई इस बात पर निर्भर करती है। कि विस्टन हैड से यहि हल्का बाहर है। तो मोटी मास्केट का प्रयोग होगा। और यदि पिस्टल हेड के साथ एक साथ ही तो पतली गास्केट का प्रयोग होगा। गास्केट का हर सारज मार्केट में कम्प्रेशर हैड के साहिज के अनुसार उपलब्ध मिलती 45 मोटाई के अनुसार चिट भी मिलती है। जिसे होलपंच या गास्केट कटर से सही साहज में काय जा सकता है।
Ekk¶yj %&
सक्शन साइड व डिस्चार्ज साईड पर बने हुए मिन्दर से खोखले तथा ऊपर से अर्थ अण्डाकार भाग को मफलर कहते हैं। कैल्वीनेटर स्लो स्पीड व हाई स्पीड में ये बिलग से दिखाई देती है।
gSM %&
कम्प्रेशर का वह भाग, जिसमे मफलर व सिलेण्डर बना हो उसे हैंउ कहते हैं। अधिकतर कम्प्रेशरों में ब्लॉक का हो भाग होता है। लेकिन एल्बिन में यह अलग से दिखाई देता है। इसे ब्लांक से मिलग भी क्या जा सकता है।
डोम %&
इसमें सम्पूर्ण कम्प्रेशर कलॉक, तथा उसमें जाते खिलेन्डर पिस्टन आदि बन्द रहेता है। यह कम्प्रेशर का बाहरी आवरण होता है। जो कि पूर्णतः शीड तथा एयरटाइट रहेता है उसमें) उसमे टर्मिनल लग्य होता है। जिस पर मेक्लीड के कलेक्शन आते हैं। होम के नीचे और ऊपर की सतह पर स्त्रीग लगे होते हैं। इन स्त्रीण के माध्यम से ही कम्प्रेशर असेम्बली लटकी रहती है।
असेम्बली इस प्रकार स्प्रिंग पर रखते हो कि शॉफ्ट rsy esa Mwch jgrh gSA
¼काम में आने वाले भावश्यक औजार एवं उपकरण½

पेंचकस %&
पेंचकस bls LØwMªkbZoj भी कहते हैं। यह छोटे स्कु ड्रायवर बड़े कई साहत में होते हैं। उसके बैंडल पर लवाडी या प्लास्टीक की हैण्डक(मुट्ठी) लगी होती है। यह - एवं + में मिलता है। यह छोटे करने को देनों के सुमाकर खोलने के काम में आते हैं। यह मैग्नेटिक कोटिंग ताल भी होता है। उसकार्य के लिए कंपनी का होनी चाहिए।
प्लायर %&
प्लायर मुख्य रूप से हो प्रकार का कधिक प्रयोग होता है। बोलप्लायर फ्लेट वाला र काम्बीनेशन कटिंग प्लायर। रलावर को प्लास या फ्रेन्चीस 1938 करते ह
प्रेशर गेज
Date 19. ;gka gFkksM+k dk esVj ugha gSA
यह कम्प्रेशर को पम्पिंग अथवा प्रेशर नापने की मीटर होती है। फ्रिज की सर्विसिंग तथा कम्प्रेशर बदलने के बाद गैस की स्थिति देखने में प्रयोग होने वाला यह प्रमुख चार है। मार्केट में 1501300, एवे का पाऊछ नापने तक के प्रेशर गेज मिलते है। कठप्रेशरका प्रेशर चैक करने के लिए 600 पाऊण्ड का प्रेशर गेज सबसे अधिक प्रयोग में भाता है। फिज के कम्प्रेशर का - प्रेशर औसत तौर से 500 पाऊण्ड

कम्पाउण्ड गेज %&
कम्पाउन्ड गेज देखने में बिल्कुल सेशर गेज सामान लगता है। होता है। परन्तु प्रेशर गेज की तुलना में इसके स्केल में काफी रहेता है। प्रेशर गेज में न्यूनतम शे ठतक जिबकि पहम्पाउण्ड गेज में बसे जग अर्थात माईनस में भी स्केल चलता है। जो कि - 10 - 20-30 तक होता है। माईनस में सकेट का होगा इसलिए आवश्यक होता है। क्यूंकि बैक्यूम की स्थिति माइनस में बैंक थी जाती है। वैक्यूम माइनस में इसलिए चेक होती है। क्योंकि जिब सिस्टम को गैस रटित, मॉस्चर से युक्त किया जाता है। तो माइनस में ही प्रकार चैक होगा। क्यों कि कहां गैस भी है किसी भी फ्रिज में वैक्यूम को उचित स्थिति -20 ये- -302 में नापी जाती है। कम्पाऊण्ड गेज में बरो 450 पाऊण्ड नापने तक का स्केल भी होता है। इस गेज से 12व्या 300 पाऊ३ तक प्रेशर नाप सकते हैं। तथा वैक्यूम भी चैक कर सकते हैं। प्राय: हरे या नीले रंग में होते हैं। कम्पाउल गेल तथा प्रेशर गेज काले रंग में भी भाते है।
¶ys;fjax VwYl %&
 
रेफ्रिजरेशन ट्रेड में यदि एयर कण्डीशनर का कार्य भी किया जाता है। तो 518, 14: 318, सारज के क्लेरिंग टुल प्रयोग होते हैं। यदि केवल रेफ्रिजरेटर मशीन की रिपेयर करने कार्य है। तो डाम, तथा 310 साहिज प्रयोग में करना है। तो "जाता है। 1/4 साहब को क्वाटर वाई + वाटर या 1/16 साहन भी बोला जाता है। 718 साहेज की पाईप घरेलु एयर कंडीशन तथा रेखियरेटर में प्रयोग में नहीं चली इस प्रकार 18 सबसे बडी साईन की पाईन है। और 3116 सबसे छोटा यदि हम सामान आकार की पाईप को आपस में जोड़ते ही तो विक्रेज होने का डर बनी रहती है। इसलिए यह विधि प्रयोग की जाती है।
यदि बैंड करने वाले पाइपों में एक पाइप का सिरा कुछ चौड़ा हो तो उसमें दूसरे पाइप का सिरा फंसाकर बैन्ड करना अधिक दयभित तथा आसान रहेगा। याहे पाईप में वह लगाता भी रहे तो भी पाईप के एक सिरे पर कालर बनाता आवश्यक हो जाता है। और यह कॉलर क्लेटिंग टूल को सहायता से बनाए जाते हैं। क्लेरिंग दो भागो में होता है। जिसमें एक भाग पलेरिंग ब्लाक कहलाता है। जिसमें ऊपर उमा ? होल बातें हुए होते हैं। लिए साधन के पाईप का काला बनाना हो, उपयुक्त साईज के होल में पाहय का क्या दिया जाता है। और फ़्लोरिंग ज का दूसरा भाग जिसे योग कहते हैं। ब्लॉक में योग को फंसाकर योग पर बने पंच को धीरे धीरे घुमाया जाता है। पंच पर एक कोच वर्ष लाता है। होता है। जिसमें नाइप में कॉलर बन जाता है।
Losगिंग टूल %&
 
एक सामान व्यास वाली पाईप को जब बैल्ड करना होता है। तो आवश्यक हो जाता है। कि एक पाईप का प्यास कुछ बड़ा कर दिया - जाए। इस टूल की मदत से यह कार्य सरलता से कराया जा सकता है। जिस पाईप का व्यास बढ़ाना हो उसको क्लेरिंग टूल ब्लाँक या काश्य में कस होते हैं। स्वगिंग इल को परिष के अन्दर डालकर धीरे-धीरे ठोका जाता है। जिससे पाईप का सास बढ़ने लगता है। यदि स्वामिया टूल को सोकने में कठिनाई प्यास आ रही हैं। तो पाईय को गरम किया जा सकता है। वैसे तो क्लेरिंग इस से काम बनाकर कौन्डिंग करके भी जोड सही प्राप्त होता है। लेकिन स्वागिंग टूल की सहायता, से पाईप सहीं करके वैल्डिंग करने पर और अधिक साफसुधरी। और मजबूत बैन्डिया किया जा सकता है। स्वागिंग में लगातार लगभग व्यास की मोटाई होती है। जैसे आरंभ की मोटाई गरपायि के लिए होगी। उसके आगे 114 पार्टप
होलपंच या गास्केट पंच %&
dEÁsशर में पैकिंग के लिए यहे होल पंच के अनुसार भाती है सही सहज की गास्केट बाजार में नही मिल पा रही है। तो ऐसी स्थिति में गास्केट की प्लेज शीट लेकर गास्केट पंच से श्रावश्यकल अनुसार हिड कर लेते ही यह मिला मिलग आकार के दिन

एलन की %&
एलन की यह एलन स्क्रू खोलने के काम आती है। जो पेंच पेन्सिल की भांति 6 भुजी होते है। यह पेंच एलब की- खोले कसे जाते है। यह 141 आकार में आती है। रोकिनरेटर के कार्य में 340 4/38. 15 जो पई एलन की सबसे कदायिक प्रयोग होती है।
पिंचिंग टूल %&
ऐकिलरेटर मशीन में जिस पाईप से गैस डाली जाती है। उसे चार्जिंग लाईन कहते है। गैस डालते वडे बाद उस पाईप का मुंह पिचका देते है। पिंचिंग टूल देखने में फ्लेरिंग ब्लॉक की तरह होता है। लेकिन बीच के दोनों भाग चाहे होते हैं। अर्थात इसमें दिन नहीं होते धार्जि लाईन को इस क्लॉक में रखकर कस दिया जाता है। जिससे पाईप यही ढंग से चिपक जाती हैं। और गैर का निकोल भी नहीं हो पाती।
पिंचिंग प्लायर %&
पिंचिंग की तुलना टूल में पिंचिंग प्लायर का प्रयोग करना अधिक सुविधा जनक विश्वसनीय तथा सुरक्षित होता है। पिंचिंग व्लायर देखने में एड्जस्टेबिल प्लायर की तरह ही होती है।
पुलर %& QksVks Mkyuk gSA
ऐसी चिजें जो चूड़ी या नट बोल्टसेल कसी हो वलिक अत्यन्त की हुई स्थिति में लगाई जाती है। अर्थात वह मिलें जो स्पिकर निकलती है। ( बेर्यारंग) आदिया न निकल रही हो तो खिंचकर बाहर निकालने के लिए पुलर की मदत् लो जाती है।
vkW;y की %&
इसमें तेल भरा जाता है। जिस स्थानों पर कोयल देना हो आयल भी के लीवर को दबाकर, संकरी स्थानों पर भी 'आमल पहुंचाया जा सकता है। इसकी लीवर को हवा कर तेल को चिचक कर बाहर निकालते है। कंप्रेशन रिपेयरिंग या फेल मोहर में आयलिंग की जाती है।
ट्यूब कटर %& QksVks Mkyuk gSA
जैिसे की इसके लाभ से स्पष्ट है कि ट्यूब कटर का प्रयोग पाईप काटने के लिए होता है। इसमें एक ब्लेड लगा होता है। ट्यूब कटर में V खलॉक बने होते है। जिस पर ट्यूब रखी जाती है। कार्बन स्टील का बना एक ब्लेंड होता है। जो कि ट्यूब को काट देता है जिस हयून को काटना हो उसे एक हाँ में फंसा दे लाँड तथा ट्यूज कटर चारों ओर सलाए। यह ट्यूल के चारो गेर चलाए। यह ट्यूब के चारो ओरख खांचा बनाता हुआ ट्यूब को जायेगा। जैसे जैसे ढलेंड को कसते जएगें वैसे-वैसे में खांचा गहरा होता जायेगा। मन्त ट्यूब कट कर स्वयं ही अलग हो जायेगी या हाथ से हल्का सा दबाव देकर पाहच मला किया जा सकता है।
पाईप मोल्डर %& QksVks Mkyuk gSA
यदि पाईप को केवल हाँथ से सोड़ दे तो उसके पिंच होने का डर रहेगा। इसलिए पार्टयों के साइज के मिला जय हिंद की स्प्रिंग के रूप में पाईप मच्छर- मिलते है। जिस पाईप को मोड़ना हो ती पाईप मोन्डर में पाईन को डाल होते हैं। उसके बाद विरा स्थान से पाईप को मोड़ देना हो पाईप मोल्डर को उसी अनुसार मोड़ते जाए। जैसे जैसे पाईप मोल्डर मुड़ेगा उसके मन्दर मटर डाला गया पाईप भी मुड़ता जायेगा। कहित मोर वांछित प्राप्त हो जाने के बाद पाईप मोल्डर से पाईप निकालकर प्रयोग किया जा सकता है।
gSaM'ksV okYo %& QksVks Mkyuk gSA
हैवराट पाल्न देखने में तथा इसकी कार्य प्रणाली साधारण तल की टोटी की तरह होती है। यह निम्न प्रकार होते है दो मुँह वाल (Twachlay) था टैंडण्ट वाहन-सह बाल्त भी दो प्रकार से होते हैं। एक में हत्या होता है। जिसको हाथ से आसानी से बन्द एवं खोला जा सकते हैं। जिसे हैंड शट वाल्न कहते है। दूसरे प्रकार के वाहन क्वार्टर लाईव पार्टर (4) कट जाता है क्वाटर वाई हैंण्डशर बाल्व
शिवीत मुंह का कैंडेराट वाल्क sar (Three way). हैं उद्वार पाल्व भी कहते हैं। इसमें कम्पाउन्ड गेज लगाकर प्रेशर नापने की सुविधा भी होती है। इसलिए इसमें अतिरिक्त नोजल, कम्पाउन्ड गेज लगाने के लिए बना होता है। शेष दो वाल्यो में एक गैस सिलेबर से जुड़ता है। तथा दुसरा । गैस चार्जिंग काई? से जोड़ते है।
मेल फोल्ड वाल्व
इसमें दो वाल्व होते है। जिसमें द एक वाल्व कम्पाऊण्ड गेज़ के लिए और दूसरा ब्राह्मण प्रेशो लिए out IN प्रयोग होता है। यह अन्य वाटबों की तुलना में बहुत इश्विक सुविधाजनक होता है। जिस साईड कावाल क प्रयोग करते है। इस पर चार्जिंग लाईन लगाते है। और जिस साईड का प्रयोग नही करते, जय साईड २) बाहव को बन्द कर देते हैं।
सिलेण्डर वाल्व
देखने में मेने (क्वाहर) वाट की तरह होते हैं। उसके होने सिरेखा)के सामान गोल होते है। जबकि सिलेण्डर वाल्व के दोनों सिरों का व्यास मिला अलग होते हैं। जो पालन सिलेन्डर पर कसा
गैस चार्जिंग लाइल %& QksVks MYkuk gSA
गैस चार्जिंग लाईन रबर की पाईप होती है। इसके दोनों सिरों पर चूड़ी दारनटलगे होते हैं। इस रबर पाईपका. एक सिरा गैस सिलेण्डर के वाहन पर कस देते हैं। इसी प्रकार दुसरा सिरा फ्री भन चार्लिंग हैण्ड सेट वाल्व या क्वाटर बाई क्वाटर वाल्प में लगा देते है। इसकी दोनो साईड पर लगे वटों के अन्दर रखा बुश बगे होते है। यदि गैस डालते समय इसके किसी सिरे से गैस निकेज दिखाई दे तो इसके अन्दर प्रयुक्त रबर बुराबदल हे।
वैल्डिंग गन %& QksVks Myuk gsA
ब्लो लेम्प की कार्य प्रणाली साधारण स्टोव की भांति होती है। इसमें मिट्टी तेल डालते थे लेकिन मिट्टी तेल की कमी के कारण यह गैस सिलेण्डर से ढलो लेम्प का प्रचलन कम हो गई। "आज कुल वैल्डिंग गन मार्केट में अधिक प्रयोग में लाते है। क्योंकि LPG गैस मार्केट में आसानी से मिल जाती हैं। इसलिए वैल्डिंग गन का प्रयोग दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। LPCr सिलेण्डर से वैल्डिंग गन की पाईप कु. से जुड़ा रेग्युलेटर लगा देते है। बौरंग गर के साथ लगभग 3 मीटर की पार्टी प्रयोग करते है। जिससे सिलेकर दूर रखकर आसानी से किसी भी चित्र का यथ ढंग से बैल्डिंग की जा सके। इसमें लगी रेग्युलेटर की कमाकर गैस का प्रेशर कम ज्याद किया जा सकता। है। इसे चालू करने के लिए रेगुलेटर का पाहत को घुमाते है (हला सा) और माचिस से उसे जलते हो जिससे लौ जब उठता है। 


एम्पीयर मीटर %& QksVks Mkyuk gsa
कम्पेयर कितना एम्पीयर ले रहा है। यह चैक करके ही ज्ञात किया जा सकता है कि कम्प्रेशर सही कार्य कर रहा है या नहीं। एम्पीयर मीटर मेन सप्लाई की सिरिज में प्रयोग किए जाते हैं। यदि कम्प्रेशर सही कार्य कर रहा है। तो लोड 2 एम्पीयर, यदि कम्प्रेशर शॉर्ट है तो लोड हम्पीयर से अधिक प्राप्त होगी से एम्पीएर मीटर फ्रिज एवं ए.सी. के लिए 'अलग अलग आले फ्रिज के लिए एम्पीयर मीटर 5 अथवा 10 एम्पीयर की तक होते हैं। जबकि ए.सी. के लिए ए तक का प्रयोग होते है
DySEi ehVj %& QksVks Mkyuk gSA
एम्पीयर मीटर से कार्य कर रहे 'उपकरण की एम्पीयर नापने की तुलना मे क्लैम्प टैस्टर का प्रयोग अधिक सुविधा जनक होते हैं। क्लैम्प टैस्टर को टंग टैस्टर भी कहा जाता है। 
इससे फ्रिज एवं एसी. का एम्पीयर क्षणभर में नापे जा सकते है। इसमें एम्पीयर नापते समय किसी भी -प्रकार का तार उपकरण से नहीं जोड़ना पड़ता। इसके क्लेम में उपकरण को मेन सप्लाई की तार लेकर अब भर में एम्पीयर नापी जा सकती है। इस प्रकार के क्लैम्प टेस्टर भी आते है। जिसमें एम्पीयर नापने के अतिरिक्त मल्टीमीटर भी होता है। साधारणत: वोल्टेज टेज तथा एम्पीयर नापने के क्लेम्प टेस्टर प्रयोग में आते है। इसमें लगी क्लेम्प छोर की बनी होती है। कितनी मोटार्ट की तार तथा कितनी एम्पीयर नापनी है। उसी क्षमता के अनुसार जिनेक साहज के क्लेख टेस्टर आते हैं।
ब्लोअर %& QksVks Mkyuk gS
तेज २ लावा से बहुत तेज हवा -निकलती है। उसमे एक छोटी मोटर लगी होती है। तथा इसके आगे - थी और एक नली निकाली होती है। उससे तिव्र गति से हवा निकलतींच 7 हाथ। उपयोग फ्रिज, एसी में सफाई ऐ लिए किये जाते हैं। करन
वाईस %& QksVks Mkyuk gS
उहह अनेक साईज में जाता है इसका मुख्य कार्य पाईप यादी को मजबूती ये।
,y-पी. गैस सिलेण्डर %& QksVks Mkyuk gS
यह गैरा कैन्डिंग के लिए प्रयोग हो यह जलसाहियो में मिलता है। जैसे JK, 2K6एवं 5-नहार सिलेण्डर पर जो वाल्व लगा होता है। उसे सिलेण्डर बाल कहते है।
रिंचं %& QksVks Mkyuk gS
रिगहने हो लिऐ का रिच गरेक प्रकार तो काह में आते हैं। मुख्यता स्मृरिक, पाईप टिक हारे खुले किरे वाले रिच प्रयोग में आते है यह सब गला लग रें साहब में मिलते है। नम्बर या परि दोछिरेका सेव
रैचिटरिच %& QksVks Mkyuk gS
यह सर्विस सिवाट को खोलने के काम में भाता है। क्योंकि इसकी ग्रिप वाल्व पर मजबूती से बैठी बोलती है। उसकी विशेषता यहां है। एक रात्रि से एक ही वाल्व को घुमाता है। यह उल्टा घुमाने पर फि हो जा इसलिए यह न्यानी की तुलना के अधिक सुक्रि तथा सुरक्षित होता है।
हेलाईड टार्च %& QksVks Mkyuk gS
फिस में लिकेज जानने के लिए इस टार्च का प्रयोग करते हैं। इसे लीक डिटेक्टर भी कहा जाता है इस टार्च के जरिये जहाँ पर फ्रिज में लीकेज होता है तो यह वहाँ सीन फ्लेम प्रदर्शित करता है।
इलेक्ट्रानिक करेन्ट लीकेज डिटेक्टर %& QksVks Mkyuk gS
कम्प्रेशर का करेन्ट मारना फिज के केबिनेट पर हाँथ लगाते ही शॉक मारने पर करेन्ट लिकेज चेककसी चाहिए कम्प्रेशर राहीं करने के बाद होम में फिट करके पहले करेन्ट लीफेज चैक करनी चाहिए। जैसे सिरिज बल्त या मल्टीमीटर से प्राम: टैक्निशियन करेन्ट लिकेज चेक कर लेते हैं। परन्तु इलेक्ट्रानिक करेन्ट लिकेज डिटेक्टर आधुनिक उपकरण है। यह करेन्ट लीकेज को आशानी से बता देते है। इसलिए यह अति विश्वासनिय है।
ड्रील मशीन %& QksVks Mkyuk gS
डॉय ड्रिल हो या इलेक्ट्रानिक्स ड्रील हो इसका प्रयोग हिंद २। रने के लिए होती है। इसमें अलग अलग बीटलगा कर भिन्न भिन्न प्रकार से दिड किया जा सकता है। जिन में गास्केट या अन्य सामानों को इसके द्वारा दिङ किया जाता है
¼फाईल@jsrh)
यह कार्बन स्टील फी व होती है। इसका प्रयोग लोहे या लकड़ी को चिकना करने के लिए किया जाता है। इसके द्वारा किसी भी की फाल्तू भाग क घिस कर अलग कर दिया जाता है। यह सिंगलकर या डवलकर की भी होती है। प्लेट रेती, हॉफ राऊण्डरेती, चौकोर रेती, त्रिकोन रेती, गोल रेती आदि प्रकार से होती ह
लोहे काटने की आरी %& QksVks Mkyuk gS
यह विभिन्न प्रकार के परिचया लोहे की पट्टी को काटने के लिए इसका प्रयोग करते हैं। इसमें दो भाग होते है फ्रेम एवब्लेड फास्ट आयरन एवं एल्यूमिनियम, ताँबा हमार काटने के लिए 6 से 10 होते प्रति सेन्टीमीटर का ढले उपयोग करना चाहिए।
वैक्यूम पम्प %& QksVks Mkyuk gS
सक्शन लाईन आहे को वैक्यूम करने के लिएजम्म इसे मेन सप्लाई होती है। उसमें मीटर लगी होती हूँ 2200 पर चलाई जाती है। इसके बोजल को चार्जिंग लाईन से जोड़ देते हैं। इसे 30- 40 मिनट चलाकर लाईन को गैस रहित किया जाता है। लाईन का माइस्चर ( गीलापन) को समाप्त किया जाता है। फ्रिज का कार्य करने के लिए पम्प का होना अति आवश्यक है।
कन्टिन्यूटी टैस्टर %& QksVks Mkyuk gS
7 मिली इलैक्ट्रानिक्स कन्टिन्यूटी टैस्टर सेल्फ आपरेटिङ होता है। इसकी दोनों प्राड से कम्प्रेशर का अर्थ लेना है। वायरिंग की प्रेकेज चैक की जा सकती है। यदि कम्प्रेशर की वायरिंग सही है। तो बल्ब जलेगा। कम्प्रेशर की वायकिंग बॉडी से अर्थ है। तो बल्ब जलेगा।
कम्मोशर के विनेट या बॉडी मे करेन्ट गार रहा है। तो चैक करने पर टैस्टर का वल्व 1 जलेगा। और यदि वायविडंग कहीं से टूटी है। तो चेक करने पर बहुतवही जलेगा। उसे प्रयोग करने से पहले इसकी दोनों प्राउ को आपस में सॉर्ट करके देख लें सही होने पर इसका बटन जड़ेगा।
टैस्टिंग बोर्ड %& QksVks Mkyuk gS
किसी भी फ्रिज या एक्सी०को - चेक करने के लिएएक प्यूज लगा है। यह लकड़ी के बोउपर फिट कर दिया जाता है। सॉकेट को 10 या 16 वि. का चाहिए। लगातार टैस्टिंग बोर्ड अपने पास रखना चाहिए जिसमें सीरिज कनैक्शन सॉकेट एम्पीयर मीटर + सेल एम्पीयर मीटर Fuse साइट
सेमेस्टर - 2
रेफिनरेटर में जो थर्मामीटर का प्रयोग होता है। वह फारनहाइट थर्मामीटर कहलाता है।
जब पानी को जगाया जाए थर्मामीटर को बर्फ में डाटा जाए तो स्केल जहाँ पर पहुंचे वहाँ पर 32 अंकित पर दिया जाए और "पानी जब खौजे वो उसपर थर्मामीटर को डाल दिया जाए तो स्केल जहाँ पर 212 अंकित कर दिया जाए- तो 212-132 = दोनो का गेप (बीफ का साय) 180 भयो में बांटा जाए तो जो उपकरण बनता है। वह फारनाहर थर्मामीटर के नाम से कहलाता Shite
कम्प्रेशर %& QksVks Mkyuk gSA
कम्प्रेशर का लीकेज कैसे चेक djssa \
बैन्ड होने के बाद कम्प्रेशर का कम्प्रेशर का जीकरन बैंक किया ढालेग्या काळप्रेशर हल्के हाने हो कि कमजोर बैटिंग चिप्स या कार्बन हटजाए। अब कम्प्रेशर का डिस्चार्ज सक्शन को फ्लेटिंग नटव डेड प्लाक लगाकर बन्द कर दे 
या इन्हें बैड पर है। कश्प्रेगर की कार्निश पर है। यह वाल्व लगाए। हैउ शर वाल्व के बीच वाले सिरे पर प्रेशर गेज लगाए और वाल के तीसरे सिरे को कार्निंग लाईनको द्वारा पम्प के डिस्चार्ज पर लगा दे 'और दूसरे कम्प्रेशर को करदे। लगभग पाऊड हवा भरे 200 पाऊड हम भरने के बाद कम्प्रेशर तथा वार दोनों को बन्दउटे उसके बाद कम्प्रेशर को हल्लाए-हाल्यो। लीफेजयेष करने के लिए रोम्पो ले, उससे सांग बनाए उस झाँग को उस पर लगा कर लिकेज चेक करें। यदि झाग में बुलबुले उठते है। तब उस स्थान पर लिकेज हैं। मानों यहि विशेष है। तो वो पर विशाल लगाकर हवा निकाल दे। और लीकेज वाले स्थान पर इलेक्ट्रीक वैन्डिंग का फिर कुल्लीकेज कोश
%& QksVks Mkyuk gSA
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न निकल पाये या गैस में पहले से नमी धुली हो तो पाईपों के अन्दर का तापमान 32 पर पहुंचेगा तो नमी बर्फ का रूप धारण करेगी। जिससे कैटलरी का हिन्दू बन्द हो जायेगा। और गैस का बहाव रुक जायेगा। 'गत

मौइश्चर (लमी) के कारण यदि गैस का बहाव रुक जाये तो मौरश्चर चोक कहलाता है।

पहचान ? कुलिंग वनायल कभी ठण्डा होगा और कभी ठन्डा नहीं होगा। और जहाँ पर बुलिंग बनाय कैपिटरी जुडी रहती है। वहाँ पर बर्फ हो सकती है। ये चोक अधिकतर गैरा चार्ज करते समय ही उपाय

होजाता है। यदि ऐसा है। तो जिए रास्ते व गैस चार्ज की जाती है। उस रास्ते से एण्टी मोस्ट या एण्टीचोक नामक रसायानीक तरल पदार्थ डाला जाता है। लेकिन

यदि मशीन पिंच कर दी गई है। अर्थात जिस पाईप से गैस डाली जाती है। उसे. दवाकर तब निम्न सावधानी अपनाए। बैन्ड कर दिया गया थ

Q पूरे सिस्टम को विशेष का कुलिए स्वायल ब्ले लैम्प द्वारा काम करे।

(2) जहाँ पर पुलिंग क्वायल से कैटलरी जुड़ी हो उस क

स्थान पर को मोमबत्ती की कैसे धर्म करें। क्रिया में खौलता पानी रखे या लुडकाएं यदि सब यह विधि से चोक न खुले तो आयल

चोक कहलाता है। आयल चोक

2 आमल चोक थे दोप्राकार ही 1 हॉफ नियल चोकर पूर्ण आयल चोक

1 मशीन की पाईयों में क्-प्रेशर से छाया तेज़ इतर जमा हो जाए कि गैस का बहाव रुक जाए तो वह आयल चोक कहलाता (4) हाफ वायला इसकी पहचान है। जितने भी


पाईपों पर बर्फ जमेगी अच्छी जमेगी फिज में अधिक होती है। (2) यदि पाईप में इतना तेल जमा हो जाए कि गैस फा यह सम्भावना

रुक जाए तो यह भी नायल चोका हो कहलाता है। इसकी पहचान है। बुलिंग क्लायन पर बर्फी नहीं जमेगी। बुलि क्वायल से गुडगुडाहट की आवाज आनायेगी जैसे गर्म पर पानी की दिये मार देते है। आयन-चोक के निम्न कारण होते है (a) आयल गैस में आंशिक रूप से घुलकर चलता है। और वह किसी कारण अलग हो जाए और पाईप में जाम हो पार

- 2 यदि पिस्टल और सिलेण्डर खराब हो जाए तो तेल पहिए में चढ़ जाएगा।


चोक कहाँ-कहाँ हो सकता है %&
2 के पिलरी चोक- कैपिलरी का हिंदू बहुत छोटा होता है यदि कैपिलरी मुड जाए या इसमें गंदगी हो जाए या कार्बन आजाए। तो भिन्दर का छेद हो जाता है। जिससे गैस का बहाव चोक हो जाता है। यह फैपिलरीचोक कहलाता है। फैपिलरी चौक की पहचान 
40 यदि फ्रिजर से सरसराहट की अवाज की आवाज आ रही (२) यही कैपिलरी बर्फ की तरह ठंडी है। (3) यह दोनो परिस्थिती एक साथ नहीं होती इस
स्थिति में गैस उड़ाकर नई कैपिलरी लगाकर गैस चाल करे। ॐ कन्डेन्सचोक आज कल के सभी कन्डेसर लोहे के बनकर आ रहे हैं। जब रिपेयरिंग के समय गर्मी किया जाता है तो कवडेवघर का "जंग झडझड कर जाए हो जाता है। तो कन्डेन्सर चोक हो जाता है जिससे गैस का बहाव एक जाता है।
daMslj चोक होते के पहचान %&
dडेन्सर लगभग गर्म रहेता है। जहाँ से यहां चोक होगा वहाँ से कन्डेन्सर की पाईप बर्फ की तरह ठण्डा हो जायेगा कण्डेन्सर को साफ करके दोबारा गैस चार्ज करे।
कन्डेन्सर की सफाई कैसे करे %&
वडेन्सर में मिट्टी के तेल डालने के बाद उसे 24 घण्टे के लिए पड़ा रहने दे। इसके बाद उसमें थोड़ा सा C. T.C डाले कवडेन्सर को धीरे-धीरे पटके ताकि जंग छूट जाए। अब एक सिरा कम्प्रेशर के डिस्चार्ज पर लगाएँ और दुसरे सिरे को अंगूठे से बंद कर ले। इस सिरे को तब तक वह रखे, जिव तक प्रेशर अधिकात हो जाए मिथति कन्डेन्सर को फ्लैस करे। इसके लिए मिट्टी काटेल बार-बार डालकर लगभग 1 घण्टे फ्लैस करे। इसे जबतक करे गंदगी माना बंद न gks tk,A
 कैपिलरी ट्यूब %&
घरेलू फ्रिज में रेफ्रिजिरेन्ट या गैस को नियंत्रित करने के लिए कैपिलरी ट्यूब का प्रयोग किया जाता है। कैपिलरी ट्यूब -अधिकतर घरेलू उपकरणों- फ्रिज-ट.सी. के अलावा वाटर कुलर एवं नाइसप्लान्ट के उपकरणों में प्रयोग होती है। इसका क्यास बहुत कम होती है। इसलिए इसके प्रयोग में विशेष सावधानी की आवश्यकता है। यदि प्रयोग करते समय यह कही से दब जाए, मुड जाए या उस परटेंशन आ जाए तो रेफ्रिजरेटर कार्य बन्द कर देगा। इसकी प्यास तथा लम्बाई प्रत्येक कम्पनी के दिन एसी के डिजाइन के अनुसार प्रयोग होती है। यह कॉपर (ताँजे) की बनी होती है। मुख्यतः 0.031, 0.033, 0 55
साईज की कैपिलरी ट्यूब प्रयोग होती है। फिज में ठण्डा म सकते है। वह तब जब 10-12 फुट 0.033)" साईज की कैपिलरी ट्यूब प्रयोग में लाते हैं। कभी कभी Q.55" का प्रयोग कर चोकिग की समस्या आ रही है। इसकी लम्बाई. होनी चाहिए। यदि गैस का रुकावट होती है। (फैपिलरी के कारण) तो कन्डेन्सर साईड प्रेशर अधिक हो जायेगा। या गैस का बहाव बिल्कुल बन्द हो जायेगा। जिसके कारण फ्रीजर में ठंडक कम या खत्म हो जायेगी। ऐसी स्थिति में कैपिलरी ट्यूब को बदलनी चाहिए। कैपिलरी ट्यूब का बदलना - कैपिलरी ट्यूबबदलने के लिए
बहुत सावधानी की आवश्यकता- होती है। इस ट्यूब को बदलने के लिए सबसे पहले फ्रिजर तथा कण्डेन्सर से कैपिलरी ट्यूब को अलग करलो- 'और उसको नाप है। इसके बाद कैपिलरी ट्यूब का और कूलिंग क्वायल के अन्दर होकर जाने की स्थिति एक छोर

फ्रीजर के पाईप में लगभग 3-4" डालकर बैल्ड करदेो केप्लरी के दूसरे छोर में एक 4" का परिच डालकर बैं कर दे 6" वाले पहिच 1 का दूसरा सिरा अब फिल्डर के " द्वारा कण्डेन्सर में लगा है। कैपिलरी पाईप को काटते या लगाते समय इस बात का ध्यान रखे कि कैटलरी ट्यूब ' का हिंद बन्दन हो जाए। कैटलरी ट्यूब लगाने के बाद यह सात करना आवश्यक है। कि कैप्लरी ट्यूब कही
से बन्द तो नहीं हो गई है। इसके लिए सक्शन लाईन को मिलग कर ले इसके बाद कम्प्रेशर को चालू कर ले। तथा सक्शन लाईन पर हाथ का अंगूठा लगाकर देखें
कि हवा (वैक्यूम) बन रही है। या नहीं यदि हवा की रही है। तो पिलरी का छेद बन्द नहीं है। और हवा नहीं भा रही है वो फैपिलरी का हिन्दू कही से बन्द हाँ साधारणतः कैविलही क्रियर से निकालकर सक्शनलाईन
से चिपकी हुई निचे लाई जाती है। जहाँ पर सक्शन लाईन खत्म होती है। वहाँ से बची हुई कैपिलरी को क्वायल की तरह लपेटकर, फिल्टर में लगा देते हैं। यदि पैपिलरी ट्यूब इस प्रकार लगी है। तो प्रफ्रीज में कैपिलरी अयूब बदलना काफी सरल होता है। परन्तु कुछ फ्रीजों में कैपिलरी ट्यूब लगाने की अन्य विधि है। जैसे कि कैपिलरी ट्यूब फ्रिजर से सक्शन लाईन के अन्दर जगती है सक्शनबाहन ओल्ड में रहेता था. इसका चलन बंद हो गया है। माउल रेफ्रिजिरेन्ट या गैस %&
यह रेफ्रिजिरेटर सिस्टम में प्रयोग होने वाली गैस को रेमिलिरेन्ट कहते है। किसी भी रेफ्रिजिरेटर सिस्टम में प्रयोग की जाने वाली गैस में यह गुण आवश्यक है। Q वह जहरीली न हो एवह विस्फोटकन है वह
उवलनशील न हो (4) उचलने की सीमा बहुत कम हो
Q तेल में थोड़ा सा गुलशील हो। 46 नमी में घुलनशीलत हो धातुओं पर प्रभावशाली न हो छिने लगीडीत हो ० वाटप दजाव और कन्डेन्सिंग ढकव के बीच मिन्ट रखने वाली मुख्य प्रयोग में गिरने वाले गैस था ८ मिनिटे
@ सहादर दाइभाव साईड (3) मिथाइल क्लोराइडमालि
(4) इथाइल क्लोराइड(5) कार्बन डाइआक्साइड (5) फ्रिटोल (क) मिथाइल फॉर्मेट () मेभिजित नारखोराइड के क्रिभान (@ফগत -12.0 क्रिभांनाउ(13 क्रিমন-2া(13 জিङ्काल 22 (4) क्रिभात-21ड विधि क्रिआन 124 (12) विमान 215 (22). विभान- 502 यह सभी गैसों में से केवल फ्रिआन-12. फ्रिजल 21 छा मेला, घरेलू प्रयोग में वाले फ्रिज तथा ए.सी. में होता है। क्रिया+22 भारी गैस होती है इसलिए A में प्रयोग करते हो इसे फ्रिज में इसका प्रयोग नही करते ह
यदि ए. सी. में पम्पिंग सही नहीं डाल सकते है। तो क्रियान-12 भी
फ्रिआन-12 %&
इसका पूरा नाम डाइक्लोरोजा इफ् लोरोमीथेन है। यह गैस रंगहीन होता है। इसका उबाल 21°F है। यह गैस धातुओं पर विपरित प्रभाव नहीं डालता है। यह गैस बाकी सब गुण 
फ्रिvku 12 जैसा है
%& ;gka ij fy[kuk gS xk;c gks x;k gSA
फ्रिजर %&
क्रिजर रेमिजिरेटर सिस्टम का वह भाग है। जहाँ रेफ्रिनिरन्ट उवलता है। और उनसे वादप में बदल जाता है। फिजर को अनेक नामों से जाना जाता है। जैसे कुलिंग क्वायल एवापोरेटर, लोसाईड आदि। फ्रिजर उपयोग एवं आकार के अनुसार निवेश प्रकार के होते हैं।
1) पाईप टाईपर नंगी ट्यून क् वायल) इसका प्रयोग घरेल फ्रिज में होती है। इसे आसानी से साफ किया जा सकवार्ड 2) प्लेट टाईप- यह फ्रिजर कान्टेक्ट एरिया को बढाने के काम में आता है। इसके रेफ्रिजिरेशन की क्रिया शिक्षता एवं सरलता से होती है। इसमें पाईप को e
प्लेट से बैन्ड कर दिया जाता है। 6) फिल्ड टाईप फिन्ड टाईप फ्रिजर लगे पाईप घालता होता है।
इस प्रकार का कूलिंग क्वायल वायु को ठण्डा करने के लिए प्रयोग की जाती है। घरेलु एयर कण्डीशनर, कार-एयर कन्डेन्सर, व्यापारिक रेफ्रिजिरेशन, तथा कुछ डिफ्रास्ट फ्रिज में इसका प्रयोग होता है। यह स्टील व कॉपर की बनी होती है। स्टील ट्यूब अमोनिया के लिए और कॉपर फ्रिआत के लिए होता है। इस प्रकार का बचायल चोकौर व नामताकार होता है। इसमें से हवा गुजारने को लिए काचोर का प्रयोग किया जाता है।
dUMslj %&
कन्डेन्सर रेगिजिरेटर सिस्टम का वहा भाग है। जहाँ वेबर कहाँ रेफ्रिजिरेन्ट को ठण्डा किया जाता ही यह निम्न प्रकारक होते (क) एयर लूट करोडपर जो बडेन्सा हवा के सम्पर्क मैं आकर जाते होतेही का एवर गुन्ड याने पुरख की - सेन्सर कहलाते है। घरेलू क्रिज तथा एसी में एयर छन् थल्डे पर था भी प्रयोग होता है। यहा तीन प्रकार होते हैं।
1 फिंड | फिन ट्यूब टाईप फण्डेन्सर ? यह फापर या "स्टीज की बनी होती है। इसमें ट्यूब की दोहरी, को या विहारी पर्त का भी प्रयोग होता है। जिस सिस्टम में इस प्रकार हो काण्डेनट ब्था, प्रयोग किया जाता है। हे उसमे उसके बाद करने के लिए कौन भी लगा होता है।
(a) पासर मेरा कठडेणार
२) वायर मेरा कडेन्वर इसमें पाईप
को ववायला क्षेत्र रूप में मोड़कर कटडेन्जर बनाया जाता है। पार्टच उहाँ के चारो और तार का आलकी बनाकर जगाया जाता है।
थर्मोस्टेट ¼daVªksy½ %&
अर्मोस्टेट रेमिनिस्टर मशीन का तापक्रम कंट्रोल करता है। यह निश्चित तापक्रम से अधिक या कम होने पर कार्य ' करने लगता है। इसके पणी करते ही कम्प्रेशा बन्द हो जाता है। और पुलिंग बन्द हो जाती है। और लावस्थल नियंत्रित हो जाता है। तो कम्प्रेशर पुन: स्टार्ट हो जाता है। प्रकार थर्मोस्टेट से प्रकार से होते हैं।
(क) बाइमेटालिक थर्मोस्टेटस थर्मोस्टेट में को मिला 'अलग प्रकार की धातु की प्लेटो हो ब्लेड के रूप के -आपस में बेटड कर दिया जाता है। दोनो धातुएँ विभिन्न फैलाव गुणांक की होती है। इसका एक सिरा हुसेट धातु से खोल दिया जाता है। डुकेट सिरे पर प्वाईन्ट लगे होते हैं। निश्चित तापक्रम पर बैलोज गुड जाने से सर्किट कट जातीह (2) थर्मल दलव सर्मोस्टेट शर्मोस्टेज के मुख्य भाग निम्न है धर्मस्वल, दैपिलरी ट्यूब, कांटेक्टपाइन्टस्विर,स्त्रींग। बल्ब में वोलेटाइल द्रव भरा होता है। यह राज्य डाईआक्साईड मिथाइल क्लोराईड आहे रेफ्रिजरेन्ट होता है। बाहक कैपिलरी ट्यूब द्वारा जिसे टेड कहते है। क्रियट से जुड़ा रहे है। जब बुटिंग कलापमान बढ़ता है। तो बल्ब का भी तापक्रम बंद जाता है जिससे बल्बके अन्दर का रेफ्रिजिरोट फैलता है। इसी प्रेशर के कारण दोनों कांटेक्ट प्वाईन्ट आपस में मिल जाता है। जिससे काम्प्रेशर स्टार्ट हो जाता है। जब पुलिंग बिल्व का स्वायल का तापक्रम कम होने रेफ्रिजिरेट सिकुडने के कारण कान्टबाट प्वा झोपक हो जाता है। और कम्प्रेशर बन्द हो जाता है। यह विश्चित के बाद पुरे सिस्टम के करेन्ट को कर 02 देता है। स्टेट बेटेन में सफर करवईड गैस भरे होते हैं जिसके कारण एक निश्चित टेम्प्रेचर पर कार्य करता है
अमेस्टिज से जिले वाले खराबी के बहुचन
;gka ls vkxs ns[kuk ckdh gSA&&%%%&&&
20

@ सिस्टम को ऑन या 'अर्थात चालू न करना। 2) सिस्टम को ऑफया अर्थात बन्द न करना 3 जल्दी-जल्दी ऑन-ऑफ करना। (4) कट करने के बाद बहुता बड चालू होना। थर्मोस्टेट के एडजस्ट करना

(ङ) सिम्टम में लगे हुए एक मस्ट करवा जब सिस्टम पुरी तरह से ठाडा हे) जाए किन्तु उसके स्वाद भी थर्मोस्टेट यह ताकरे तो थर्मोस्टेट के बिना रंग छे स्क्रू को धीरे-धीरे तीन या चार राऊण्ड दाए माकाल घुमाए। यदि सिस्टम अब भी कट न हो तो इस बार बिना रंग छे स्क्रू को पहले के विपरित दिशा में दो गुणे चक्कर घुमाए। 'अब यदि सिस्टम कट हो जाए तो पुना स्टाई होने की प्रतिक्षा करे। और यदि स्टार्ट न हो तो स्कृ ष्ो जिस दिशा में घुमाने से पटहुआय उसके विपरित दिशा में घुमाए तो सिस्टम बुबा चालू हो पाएगा। फिर थर्मोस्टेट निरंतर कार्य और ऑफ करने - खेता है। कट. इन: -- इस प्वाईन्ट पर कम्प्रेशर चालू एक्ट- आधार में इस प्वाईन्ट पर गोशट बन्द होता है।

२) थर्मोस्टेट को सिस्टम के बाहरचेक करना सिरिज के तार थर्मोस्टेल के दोनों जिनों पर रखे। ऐसा करने पर बल्न जलनी चाहिए। जब टेल की नोक को किसी वर्ष या अत्यन्त ठन्डे पानी से भरे बर्तन में डालेंगे तो कुछ देर में बबब वह हो जायेगा यदि देखा न हो तो बिगत से सैंट कोट । एक उस स्थिति में रखे कि थर्मोस्टेट की बर्फ मैं डालने पर बन्द हो जाए। और केतु से निकालने पर बल्ब जलने लगे।


अमेस्टिज से जिले वाले खराबी के बहुचन

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@ सिस्टम को ऑन या 'अर्थात चालू न करना। 2) सिस्टम को ऑफया अर्थात बन्द न करना 3 जल्दी-जल्दी ऑन-ऑफ करना। (4) कट करने के बाद बहुता बड चालू होना। थर्मोस्टेट के एडजस्ट करना

(ङ) सिम्टम में लगे हुए एक मस्ट करवा जब सिस्टम पुरी तरह से ठाडा हे) जाए किन्तु उसके स्वाद भी थर्मोस्टेट यह ताकरे तो थर्मोस्टेट के बिना रंग छे स्क्रू को धीरे-धीरे तीन या चार राऊण्ड दाए माकाल घुमाए। यदि सिस्टम अब भी कट न हो तो इस बार बिना रंग छे स्क्रू को पहले के विपरित दिशा में दो गुणे चक्कर घुमाए। 'अब यदि सिस्टम कट हो जाए तो पुना स्टाई होने की प्रतिक्षा करे। और यदि स्टार्ट न हो तो स्कृ ष्ो जिस दिशा में घुमाने से पटहुआय उसके विपरित दिशा में घुमाए तो सिस्टम बुबा चालू हो पाएगा। फिर थर्मोस्टेट निरंतर कार्य और ऑफ करने - खेता है। कट. इन: -- इस प्वाईन्ट पर कम्प्रेशर चालू एक्ट- आधार में इस प्वाईन्ट पर गोशट बन्द होता है।

२) थर्मोस्टेट को सिस्टम के बाहरचेक करना सिरिज के तार थर्मोस्टेल के दोनों जिनों पर रखे। ऐसा करने पर बल्न जलनी चाहिए। जब टेल की नोक को किसी वर्ष या अत्यन्त ठन्डे पानी से भरे बर्तन में डालेंगे तो कुछ देर में बबब वह हो जायेगा यदि देखा न हो तो बिगत से सैंट कोट । एक उस स्थिति में रखे कि थर्मोस्टेट की बर्फ मैं डालने पर बन्द हो जाए। और केतु से निकालने पर बल्ब जलने लगे।

मोटर को सुरक्षित रखने के लिए उपाय-झल द्वारा मोटर को सुरक्षित रखने के लिए कुछ पार्ट्स लगाए गए हैं।

कॉपिसिटर

दो सुचालक प्लेटों के मध्य कोई कुचालक

पदार्थ रख दिया जाए तो वह कैपिसिटर बनजाता है। वैलिसिटर या कन्डेश्वर में से केवल निंद सरलाई पास होती है। उन्हवी कैपिसिटर दो प्लेटो के मध्य लगे पदार्थ के नाम से होता है। जैसे (हवा, पेपर, महिकार स्टेक्ट्रोनाटिक कन्डेक्ट निवारा होता है।

इसकी ईकाई फैदाउ होती है।

एन्डेण्खर हो प्रकार के होते है। पत्र रचिय स्टाटिंग किल में कैलिसिटर का रंग प्रयोग नहीं होता B.Cमें होता है फ्रिज में यदि पुराना कमेशा लगी हो जो स्टार्ट करने में परेशानी कर रहे है। तो ऐसी स्थिति में स्टार्टिंग वायविडंग से 4GMFI कन्डेन्सर लगाकर देख लेते ही

इलेक्ट्रिक रिले

रेफ्रिजिरेशन सिस्टम में रिले का कार्य कम्प्रेशर তिति

करते समय मोटर की स्टार्टिंग वायल्डिंगको कराह देना है।

करेन्ट

जब मोटर 75% से अधिक गति पकड़ ले तो उसे रविंग वायविडंग पर चलना है। इसलिए यह आयोगैरिक टर्मिनल चेंज कर लेता है। रिले तीन प्रकार की होती है।

@ सालेमाइड ऑपरेटिड रिजे धर्मवरिले छ स्टार्टिंग रिले 3 इसमें से मात्र स्टार्टिंग रिले का प्रयोग भरेक फ़िल में होगा 'स्टार्टिंग रिले को प्रकार ↑ फरेस्ट रिले २ वोल्टेज रिले

10 घरेलु क्रिजों में केवल रिले (फरेस्ट रिके) ही प्रयोग में आता है। उसे PTC दिले भी करते है। -जब मोटर स्टार्ट होता है। तो वह सामान्य करन यसेंड गुणा 'अधिक करेन्ट लेता है। लेकिन जैसे मोटर • रविंग अवस्था में जाती है। तो वह सामाना धिरेन्द्र ही लेती है। मोटर में स्टार्टिंग तथा रविंग दो प्रकार की वायविडग होती है। जय मोटर की गति 77 से अधिक आजाती है। तो रिले करेन्ट मोटर स्टार्टिंग वर्याब्डंग के कनेक्शन से हट कर रनिंग वार्याच्डंग के कनैक्शन से जुड़ जाती है। इसके बाद मोटर रनिंग से प्वाइन्ट 'चलती रहती है। जब मोटर में सिंगल फेज सप्लाई दी जाती है। तो स्टार्टिंग में उच्च करेन्ट होते को कारण - इलेक्ट्रोमैग्नेट मैगनेटाइज हो जाता है। जिससे दिले सान्टेक्ट प्वाइन्ट मिल जाते हैं। और मोटा स्मार्ट हो। ग जाती है। जैसे ही मोटर 754- से अधिक गति पकडती है। तो करेन्ट सामान्य होजाता है। और कम करेन्ट होते को कारण रिले मैगनेटाइज नहीं होती जिससे कान्टेक्ट प्वाइन्ट खुल जाता है। और स्टार्टिंग कार्याण्डिंग का सर्किट / टूट (हट) जाता है। इस स्थिति में मोटर रविंग नाबलिग है। परचलती रहती है।

इसमें ऊपर की ओर दो हिन्दु होते हैं। जिसमें से एक हिंदू कम्प्रेशर की रविंग क्ति से दुसरा हि स्टार्टिंग दिन में लगाया जाता है। रिले के लिये कभी पिन पर सप्लाई दी जाती है। इस तरह रिले में रविंग स्टार्टिंग तथा कामत बहनैक्शन को लिए कुछ कारवाह बने होते हैं? दिले कम्प्रेशाह की क्षमण के अनुसार प्रयोग की जाती है। घरेलु फ़िज में 185 लीटस्तक के फ्रिज में 1/8 तथा उससे ऊपर के लिए 116 H.P. फेरिले प्रयोग की जाती है। 1/5 तथा 2/3 Hp को रिले डीप फ्रीजर में प्रयोग होती है।

कभी-कभी ऐसा होता है। कि कुछ देर चलकर मोटर गरम होका मोटर अधिक एम्पीयर लेनी लगती है। यदि ऐसा है। रहा है। वे मोटर बबराब है।

फिल में दो प्रकार के गति वाले मोटर प्रयोग करते हैं। 10 स्लो स्पीड - यह 1440 RPM का होता है। इसमें क्वापक

के म पाले होते है। र हाईस्पीड: यह 250 R.Pm. c. होता है। इसमें बवायल क) पोल होते हैं। आज कल के घरेलू फ्रिज में हाई रूपीउ कल्प्रेशर प्रयोग में आ रहे हैं। ब्रिज की वायरिंग ( ओपन राहिय कार्याया डबॉक्स टाइप कधीका

1) ओपन हार्टप वायरिंग सबसे पहले सप्लाई का एक

पैलवार अर्मोस्टेट श्री एकविक को दे देते है। थर्मोस्टेट की दूसरी पिनरों ओवर लोड को हे देते हैं। ओक्स लाए कंप्रेशर के कॉमन मो सरकार ष्ञ दूसरा तारा रिहें पर देंगे। अन रिले के दोनों दिनों को क्रमश: कम्प्रेशर की स्टार्टिंग तथा रशि या देंगे। जिन में भिंडा रोशनी के लिए बल्व तथा डोर स्विच का एक-एक छोर साईकर देंगे। बख का दूसरा वार तथा डोर स्विच के एक बार पर सरकाई देंगे। (फ 'बाक्स टार्टप वायरींग बाक्स टाईप रिले के कलैक्शन

में भी सप्लाई का एक वार थर्मोस्टेट! तथा समग्नेटा दूसरा कहीले की किसीमित 'देंगे। सरलाई एक दूसरा तार रिले की दूसरी चित्र पर दिया जायेगा। जिले के तीनो टर्मिनल 1R.SC. क्रमश: सम्प्रेशर छ २, ९.८, पर देंगे। बिस्व तथा डोर स्किसके कलेक्शन पहले की भांति होंगे। ८ मा प्र





वेल्डिंग कैसे करे

वेल्डिंग करने के लिए जी राड प्रयोग करते हैं वह ब्रिजिंग फ्लैक्श कहलाता है। जो कि 750 (c) शेन्शीयश तापमान कार्य करता है। वेल्डिंग करते समय वेल्डिंग राड को फ्लैक्स मे डिप करते है। जब भी टाका लगाना हो तो हर बार वेल्डिंग रोड स्थिडिप होगी। उसी प्रकार चारो साईड को पिघलाने उस वेल्डिंग करो !

अभी प्रदर्शन

नभी प्रदर्शन सिस्टम में नमी उपस्थित बताता है। रेफ्रिजिरेशन सिस्टम नहीं के चले जाने पर उपकरण ठिक से कार्य नही कर पाता जी - रेफ्रिजेरेन्ट का तापमान ३२. एक से कम हो जाता तो कभी कार्य के रूप में जगने लगता है और रेफरेन्ट से फलग हो जाता है और नमी कम्प्रेसर मे जाने से अम्ल बनता है। जो मोटर इन्सुलेशन वाल्व और वाल्व प्लेट में खराबी पेश करते है। नमी का अधिक समय तक सिस्टम में बने रहने से यह सिस्टम खराब हो जाता

फ्लेस करना

सक्शन लाईन की से फलग को हवाई सक्शन से अलग कम्प्रेसर की कान कर दे। इसके बाद क् लाइन की अगुडे से बन्द करे चरम सीमा तक पहुंचने पर अमुदा हटा दो। देखने से पता चलता है बाहुल से तेल बाहर निकलता डिस्चार्ज है। यह क्रिया तब तक करे जब तक हवा बिना तेल के न निकले। कैसी कैप्री फिल्टर, कन्डेन्सर अंत में विस्थाने लाईन तक करते है लिकेत चेक करना


) फिल्टर चोक के लिए फिल्टर का पतला सिरा जिस पर कैप्लरी पाईप लगली है उसे काट कर फ्लेस करे।

5) कार्य ही एवं नमी (पानी) चोक के लिए

सक्शन लाईन काट कर संक्शन लाईन फ्लेस

करे।

D) एम्पीयर मीटर - 8 से 10 पास्ट फेस लाईन पर

बताना चाहिए।

डौल भरते समय कंपाउड मीटर गन्य खोले लो

60-70

aled

बन्द

लास्ट बताना चाहिए और

करे तो 10 से पाउट बताना

12

गैस चार्जिंग

गैस चार्जिग में अनेक क्रियाएँ करनी पड़ती है। जैसे 0 फ्लैश करना लीकेज चैक करना बैक्यूम करना, 34 गैस चार्जिंग करवाएँ पिचकरा या वाल्व

विका करता

गैस डालने के बाद जिब फ्रिज में कूलिंग पूरी हो जाए ते चार्जिग जाईन को चित्र भरा होता है? पाएको पिंच इसलिए किया जाता है। ताकि गैस र निकले) पहिए को तीन स्थानों से विनदिशा में पिंच करो। पिंच करने के बाद पिंटिंग कलाका विचिग हलवण जो भी प्रयोग घट रहे हो उसे पावि पर ही लगा रह उसके बाद जाति से लिया बाहेर हटादे लेकिन आज कल चार्जिंग वारियर

चार्किंग के कछ समय चार्जिग बाटव लगा कर चार्मिंग

करते हैं। लिए भन में डो वह लगा लेतें हैं।

गैस चार्जिंग के समय आने वाली एक्स किया

6 पर एक 20 MRP 118) बिल्कुल मुफ्त पाइए सिर्फ पाइने पोस

और लिन पाउ

MRP 115/R

Q) गैस डालने के डिपरान्त यदि खुईखे विचे-30 पर आ जाए और बार बार गैस बढ़ाने पर भी खुई कैसे ऊपर व जाए तो मशीन चोक समझना चाहिए। वाल्व को अच्छी तरह बंद करो। चार्जिंग लाईन से गैस सिलेण्डर को हटाकर उसमें एन्टी मोइस्ट या एण्टीचोक एक टियूब डाले (एक ट्यूब जो 5रुवाला फेविकसक के

बराबर होती है) (जो 5ML की होती है। एन्टी चोक डालने के उपरान्त चार्जिंग लाईन को अंगूठे से बन्दकर और वाल्व को खोल है। ए.टी चोक पहुँचकर चौक खोल हेगी। वाल्व को : करो। और सिलेन्डर को बन्द 'पुवा लगा हो तथा चोक खुलने को प्रतीक्षा केटा जिनचोक खुल जाए तो कम्पाउन्ड गोल को सुई 0 से ऊपर चली जायेगी। यह ध्यान रखे की चोट खुलने में 1-2 घन्टे भी लग सकता है। कोशिश करो की एन्टी चोक आदि का प्रयोग - पड़े क्योंकि यह मोटर करना को नुकशान को पहुँचा सकता है। साथ साथ फिल्टर अच्छा वाला ही प्रयोग करा

(३) गैस डालने के बाद यदि कम्पाऊण्ड गेज की सुरी बसे विच - 30 पर आ जाये और मशीन बन्द करने पर यह सुई तुरुत ऊपर चली जाए तो कैटकरी नई लगाए क्योंकि कैपिलरी ठीकसे काम नहीं कर रही है। जब मशीन चोक होती है। तो कम्पाउण्ड रोज की सुई - 30पर आ जाती है और मशीन बन्द करने पर वही रुकी रहेगी। जबकि कैपिलरी खराबी में रोज की सुई मशीन चलते में निचे आ जाती है। लेकिन बन्द करने में रकती नहीं है। ऊपर चली जाती है 3 यदि कन्डेन्सर बहुत गर्म हो रहा है। लेकिनप्रियर (लिंग कबायली पर 2005 का काफी त हो तो गैस बहुत अधिक होगी, गैस को काम कोट। कभी-कभी गैस स्वराज के कारण भी यह फाल्ट भाता है।



© डोर पैनल, दरवाजे के भीतर भाग पर डोर पैनलखना होत लाइनर ? फिज के जिस भीतर भाग में रैक लगी होती है उसको लाइटर अपने है। यह प्लास्टीक बरी होति? खटी जिस करते पर गेट घूमता है। वहां खूँटी निकली होती हैं। और वह रखेटी दरवाजे में बने होल में जगती है। 3) डोर बुश→ दरवाजे के दिन में एक प्लास्टील की पैकिंग लगी होती है। जिसे डोर बुश कहते है। डोर गास्केट, डोरपैनल के चारों ओर लगे चुम्बकीय

"बबइ छो ठोर बर शास्कर कहते हैं। यहाँ कविनेट के खड़ बीड पृष्ठ करता है। गास्केट के लीटर मैग्नेट प्रयोग होती है जो कि गेट बन्द होते ही बॉडी से चिपक जाती है। जिससे हरवाला या दबाने पर भी बन्द हो जाता है। कई मास्केट लगानी हो और यहि यह मैगनेट काम र कर रहे तो गास्कर यो खौलते पानी से धो ले। यदि कांडी और गास्केट हो क कोई गेवदिखाई दे रही है। तो उसे पहले ठीक करें।

यदि गए शेष दूर न हो रही है तो शाङ्केट में काटर भर हे क्योंकि गायकेर में खोखाली जगह होती की कागजभारी चिलट्रे धूलिंग क्वायल के निचे एक हे प्रयोग को जाती है किसे चिक है या वर्षी हे कहते हैं।

चिल ट्रे कैबीनेट की हवा का सरक्यूलेशन सुचारू रूप में बनाए रखती हो 'इसके अलावा मपिमली हुई बर्फ का पानी इकट्ठा करती है ताकि जिस समय जिन को डिफ्रास्ट किया एयर, बाघ लिये ऐक में गिरकर, विज में रखे पदार्थों के कपाल 8 वेजिटेबिल है जिन में सबसे नीचे रखी हे कोही

कहते है। यह शिये की प्लेट से ढकी रहती हो ताकि कभी कंट्रोल में रहे। इसमे रखी सब्जी ताज़ी रहा (क) रैक मिलाक सिंहा बनी आलमारी को कई भागों में कम "करने के लिए जिम जाती का प्रयोग करते है हरी रेक

D)गलासवून य थर्मावून या प - फ्रिज का तापक्रम नियंत्रण रखने के लिए फ्रिज को दीवार एवं लाईवर के मध्य में यह लगा होता है। लेकिन आजकल पफ का प्रयोग सबसे अधिक हो रहा है।

पफ प्रयुक्त फ्रिटन में 8050 अधिक रहती है। 116 (i) ग्रोमेट फ्रिज में जिस रास्ते से सकाशन लाईन बाहर निकलती है। या कम्प्रेशर जिन खंड के गुटकों पर

रखा जाता है। उन्हें ग्रोमेंट कहते है।

(रि) हैकिल- इरे बोट को खोलने के लिए लगाया जाता है।

रहेता है।

आजकल की फ्रिज में हैण्डल मिलग से नही लगाते

उसके स्थान पर गेट में ग्रिप

. ग्रिप पर ऊंगली रखकर खोल सकते है

((43) लाक

बच्चों से फिर की सुरक्षा के लिए गेट में

लाँक लगा होता है। इसे आसानी से सोलाजी

सकता है। जो किसी विशेष च्यानी की जरूरत नहीं होती

पटाप फ्रिज बैकिनेट से बाहर ऊपर टॉप अलग से फिर

की जाती है यह फ्रिलय का सौन्दर्य बढ़ाती है। -और ऊपरी भाग को सुखा कहती ही

(12) चौकी यह फ्रिज छा भाग तो नहीं है लेकिन फिज को सुरक्षित रखने के के लिए एवं हाईट बढ़ाने के लिए लगाते हैं।

1. डेकोरेशन स्ट्रिप कुछ क्रिलों पर गेट पर एक डेकोरेशन स्ट्रीप लगी होती है। जिससे फ्रिज अच्छी लगती हो

(2) मोनोग्राम - फ्रिज के गेट पर उसकी क्षमता के अनुसार भोलोग्राम लगे होते हैं जैसे 165,280 लीटर 1 (18) वोल्टेज स्टेबलाईजर फ्रिज की सुरक्षा के लिए वोल्टेज स्टेब्लाईजर का प्रयोग अवश्य करना चाहिए। फ्रिज

फेखांथ O'S KVA का प्रयोग करना चाहिए। इसमे लो | हाई Vatt कटा तथा टाईमर सुविधा भी होनी चाहिए। 180% से कम तथा 2600 से अधिक Vout होने पर भी २२०५ प्रदान करता है। जिससे फ्रिज सुरक्षित रहेती के केमीओ, जोल्टास, कैपरी, पागरिमा

दिन के सिस्टम में वैक्यूम पैदा करने के लिए

अलग से पम्प का प्रयोग क्यों किया जाता

क्रिए सिस्टम में बैक्रमण पैदा करने को लिए किज के मोर का प्रयोग की वैक्यूम के लिए नहीं करना रखा चाहिए। क्योंकि कम्प्रेशर से निकलने वाली आईला छूट जिए करडेशर के बैक्ट्रम काट रहे हैं । खिंच रखे हैं। उनके भन्दा सकारखाना है। जिससे वह भी खराब हो जायेगीत उस्सलिए वैक्यूम मशीन के किया जाता है। नया पेशर लगाते समय या रिपेयर किये

रोग में दो पाईए विकली होती है। यदि इनमें एक में मुँह ड्रो फूंक मानी जाए तो दूसरे से क्या जिसक कर बाहर आयेगी। इन दोनों पार्टियों में से कोई भी एक सक्शन तथा दूसरी

हुए कम्प्रेशर को फिट करते समय ध्यान है। चार्जिंग पर लगाई जा सकती है। उनके अतिरिक्त तीसरी पाईप निकली होती है जो कि डिस्चार्ज रीड से से भाती है। यदि स्प्रेशर क्या प्रयोग कर रहे है ती कम रोज भिद्धति उकि काफी डिस्चार्ज भी पाईप होगी। -- एक सामान भेज वाली पटिये शक्शन तथा चार्डिंग की होगी, जिनका रोल 5 होगा शक्शन पार्थिव में हुए से 1. फूंक मारने परचार्जिंग से हवा बहर निकलेगी जो कि "हाथ से चैक करते! वह कलेशा से डिस्चार्ज, सक्श के अतिरिक्त हो पाईप और होती होलोकि कन्डेन्सर से जुडती है। दोन कनिचे की सतह में नायल भरा होता लोकि उसने मोका अजहती है। वह कमोशर के सभी त्यागियों पर डॉर लगी मे ती है करो कि उस पर धूल व जाए। कभी कभी किड़े दुबई। जिन बहॉट सोलह ई के यहा मेरा शुद्ध मात्रा में निकलते है। वह नाईट्रोजन गैस होती है वह नुकशान दायक नहीं होते। भ केंद्रापरत्र बनाने देला

प्रिंज में आने वाली खराबी एवं दर करने का उपाय

3

19 सिस्टम डेड है। अर्थात फ्रिज नहीं चल रही है। : 1) सर्व प्रथम मेन सप्लाई वायर चेक करे यदि स्टेबलाइजर- लगी हो तो स्टेबलाईजर की नाऊर फुट सरलाई 2200 चेक करें। थर्मोस्टेज चेक करे 8 कम्प्रेशर डायरेक्ट चलाकर चेक करे। यदि डायरेक्ट नहीं चलती है। वो कम्प्रेशर खराब है। यदि रिहे पर सप्लाई आ रही है। फिर भी कम्प्रेशर फ्रॉन नही हो रही है। तो रिले चेक कटा 5 ओवर लोड चेक करे क कम्प्रेशर खराब होगी वार्याच्यांकडे 2) फ्रिज कुछ सेकेण्ड चलता है। फिर बन्द हो जाता है। -: ● कम्प्रेशर डायरेक्ट चलल कर देखे। यदि कम्प्रेशर 71 0.5107 एम्पीयर ले रहा है। तो कम्प्रेशर सही है। यदि कम्प्रेशर युछ देर बाद चलकर 0.7 एम्पीयर से अधिक करेन्ट ले रहा है। तो कम्प्रेशर खराब है। जैसे । से।-धी-

1- 2 यदि कम्प्रेशर उपरक्ट चलाने पर सही चल रहा है।

तो जब रिले तथा ओवर लोड एवं थर्मोस्टेट बदल कर देखे और यदि कुछ देर चलने पर कम्प्रेशर बन्द नही होता है। तो केवल थर्मोस्टेट खराब होगा। और सारे लम्प्रेशर बन्द हो जाता हूँ। तो तथा ओवरलोड

बारी-बारी से बदल कर देखे। चार्ज 3 सिस्टम कुछ देर (लगभग 30 से 45 मिनट) और फिर बन्द हो जाता है।

(4) सबसे पहले ऊपर लिखे दोष के अनुसार ही बारी बारी से इसका भी चेक करें। लेकिन 40-45 मिनटचलने के बाद कम्प्रेशर गर्म हो रहा है। तो इस स्स्थति में छाव कम्प्रेशर अधिक एम्पीयर लेगा। अक प्रेसर चेज करें। (2) शक्शन लाईन पर बर्फ आ रही होगी।

3 फ्रिमको दिवार से सटा कर रखा होगा जिससे गर्म हो रहा है। (4) थार्मोस्टेट बार बार कर हो रहा है। थर्मोस्टेट की सेटिंग करा


कम्पेशर में करेन्ट का रहा ● सिरिज बोर्ड से बारी बारी से रविंग, स्टार्टिंग एवं. सामन प्वाईन्ट को चेक करे कही थोड़ी से साहित नहीं है। यह चेकिंग के समय ओवर लोड एवं रिले को मिला कर ले। इसके बाद ओवर लोड एवं रिसे चेक करे काही बाँड़ी से सारे तो नहीं है? क आदि फैन मोटर लगी हो तो जाँडी से साई होगी।

ड यूलिंग कवायत (क्रिया का फैन भोटर ऊर्मी होगा। यदि प्रयोग किया गया है तो Q थर्मोस्टेट में पानी आने के कारण भी करेन्ट मारने की शिकायत मा सकती है। थर्मोस्टेट की टेल ठीक करा

ताकि उसके द्वारा पानी थर्मोस्टेटतक न पहुंच पाए। डोर स्विच तथा बल्व भी करेन्ट के कारण हो सकते हैं। -हहिमर खराब हो सकता है। यदि होतो। कोई भी बार बाडी से सारे होगी चेककररा कु फ्रिज में ले हल्की करेन्ट तो होती है। उसी

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करेन्ट दूर हो उसके लिए बॉडी अर्थ कटा

3) कम्प्रेशर चलता है। पर ठन्डा नहीं करता (क) चेक या पम्पिंग चेक करने के लिए सस्तेशर से चार्टिंग बहिन को हटा का यदि गैरा विकट रही हथे ते जीजेज नहीं होगा। बल्कि चोक या पम्पिंग फेल होगी। चाकापंपिंग न्यौक करने के लिए भडेन्सर या जिस्टर के पास से सम्मेशा श्री मंदिर चेक करा यहि पंपिंग ठीक है। लेकि घोरे 100/- चोक होगी।

2 लीकेज होता चककोटा लेकिन पैक करने की साधारण विधि यह है। कि यह देखे कि कहीं आपला जमा हुआ तो नहीं दिख रहा हो क्योंकि यदि कही लीकेज होगी तो उस स्थान पर तेल बाहर आ जायेगा। यदि कही दिल है तो उठ स्थान ले लीकेज ध्यान चैक

यदि पम्पिंग 350 पाऊन्ड से कम मिल रही हो तो कम्प्रेशर का कॉक चेक करें। कम पम्पिंग मिलने पर भी ठण्डक नहीं मिलने की शिकायत आती है। 6 भूलिंग कवायली पैर बर्फ बहुत अच्छी जमती है। लेकिन जिल्दी ही कर्क पिछल जाती है। और होकरा वर्ष जिमती है। जिन पिछली बर्फ पूरी तरह पिघल जाये और भूलिंग कवायण, गर्म या सामान्य हो जाए।

तो इस प्रकार का दोष अर्मोस्टेट खराब होना पाया जाता है। यह थर्मोस्टेट खराब होते ही वह स्टेल है। जिसमे अधिक होने पर थर्मोस्टेट कर नहीं कर रहा है। ऐकी स्थिति में थर्मोस्टेट बाहर विकास का चक्करे। Q) बर्फका अधिक जगवा : थर्मोस्टेट को वस्त्र है? कूलिंग क्वायल ( फ्रिजर) पर बर्फ हैं। लेकिन निचे हाडक नहीं है: O फिलम दीवार 


सिस्टम लगातार आवाज कर रहा है। 10 कम्प्रेशर के

अन्दर की स्प्रिंग हिदी होगी। र अग्रेवार ठीक से फिट नहीं किया होगा। होता है। Q. एन्क्रिटंग राउ घिस जाने के कारण की आवाद अलङ का सम्प्रेशर तिन समेट (खर के सुरुको पर का वह या तो खराब है। या दिली है।

कोर्ट पाईप आपस में टकरा रही है।

क सिस्टम दम से आषण करता है? और फिर कोई आवाज नहीं करता यह सिलसिला चलते रहेता है। (7) शट बैंक होगा। (2) रिबे ठीक से काम नहीं कर रहा होगा। स्टार्टिंग कार्यालयको हो।

(12) भूरी भूमिए व पायल 'दिलवर) पर बर्फ होती है। पम्पिंग फेल होगी। गैस कम होती गैस अधिक होगी (4) आपल चोका होगा। (4) थर्मोस्टेट खराब होगा। जिस ओर से शक्शन लाईन बाहर निकलती है वहाँ

पर ग्रोमेट लगाया जाता है। ताकि बाहर की हवा अन्दर

न जा सके। भाई ग्रोमेट खराब है यी नहीं लगा होताचेकारे

13 फ्रिज का गेट खोलने पर लाईट का न जलना फिज का गेट खोलने पर लाईट तुरन्त जल जानी चाहिए क्योंकि डोर विना गेट राखेकाले ही ऑव नको वाला ही ऐसी खराबी में डोर स्विच चैक करे बल्ब फ्यूज हो गई होगी। होता खराब होगी। एवं वार्यारत्येकाव्य

14 स्थित का गेट 04 बद करने के बाद भी लाईट का जलना - मिज़. या गेट बन्द करते ही लाईट तुरन्त बन्द होखानी चाहिए। यह चेक करने के लिए गेट को बीन बंद किए, स्विच कथाए यदि लाईट बन्द ঔ हांथ के डोर

वेलेर खिचर-सभी सामार सीको यह सब राखी नही है तो बल, स्विच, कारण, होन्डर आदि चिक करा

15 पिस्टन का सीज (जाम) हो जाना।-: ऐसी स्थिति में 7 (1) कम्प्रेशर खोले बिना चलाने का प्रयास करें। जिसके लिए सबसे पहले कम्प्रेसर पर स्टार्टिग एकवडेन्सर लगकर है देखे यदि कम्प्रेशर चन जाता है। तो कम्प्रेशर की रिवायविडंग से बचा जा सकता है।

(2) इसके अतिरिक्त कम्प्रेशर पर हल्के-हल्के चोट मारकर देखे। कभी-भी ऐसा करने से ठीक हो जाता है। और यदि इतना करने के बाद भी सही नहीं होती तो कम्प्रेशर बदल हे (16) कम्प्रेशर डायरेक्ट चलने पर सही चलता है। लेकिन रिले लगाने पर नहीं चलता, जिसकी दिले सही है।

इस प्रकार का दोष आने का अर्थ हो एम्प्रेबाट थी स्टार्टिंग वायडिंग कमजोर है। ऐसी स्थिति में स्टार्टिंग वायविडंग पर 40-60 MF-D का स्टार्टिंग कन्डेन्सर लगाए। कण्डेन्सर स्टार्टिंग वार्याण्डिंग की सीरिज में लगाए। स्टार्टिंग वायविडंग पर कन्डेन्सर लगाते समय कम्प्रेशर पर लगी रिले उतारकर जिला घर लें। अब रिके से कनैक्शन कम्प्रेशर तथा कन्डेन्सर से तारों से बेटे! स्टार्टिंग के मध्य में कन्डेन्सर जोड़े। इम प्रकार का परिवर्तन करने पर कम्प्रेशर रिवाइ03 करने से कुछ समय तक बचा जा C सकता है।

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